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छत्तीसगढ़

नुकीले कील की खाट पर लेटकर देवी की साधना, अन्न, जल, फल नहीं खाने-पीने का लिया प्रण

कोरबा। नवरात्र में देवी मां की आस्था में लोग पूजा अनुष्ठान विधान पूर्वक तो करते ही हैं, कुछ लोग कुछ अलग तरीका अपनाकर लोगों को आश्चर्य में भी डाल देते हैं। ऐसी ही आस्था के साथ हरदी बाजार के ग्राम नेवसा निवासी छोटेलाल चौहान की पत्नी ईश्वरी चौहान देवी मां की सेवा में जुटी हैं। नवरात्र में नुकीले कील से बनी खाट पर लेटकर देवी मां की साधना कर रही है।

ईश्वरी की साधना का यह दूसरा प्रयास है। ईश्वरी चौहान का कहना है कि उन्हें माता रानी ने सपने में ऐसा करने का संकेत दिया था। वे कील की खाट पर लेटकर ज्योत, जवारा जलाकर सेवा में कर रही हैं, जहां परिवार के साथ गांव के लोग भी रोजाना भजन-कीर्तन और जसगीत में पहुंचकर माता रानी के दर्शन कर रहे हैं।

ईश्वरी ने बताया कि जब तक वो जिंदा रहेगी, तब तक मां की आराधना में डूबी रहेगी और हर वर्ष नवरात्र में मां की पूजा अर्चनाकर नौ दिनों तक पूजा पाठ करती रहेंगी, ताकि घर परिवार और गांव में सुख शांति बनी रहे। इस संबंध में ईश्वरीय चौहान ने बताया कि एक वर्ष पूर्व से पत्नी के सपने में छोटी बच्ची दिखाई पड़ रही थी, जो पूजा करने के लिऐ प्रेरित कर रही थी। इसकी जानकारी वे अपने पति को देती है और पूजा पाठ करने की बात कहती है। फिर नवरात्रि से पूजा-पाठ करने की इच्छा बढ़ गई। तब पुनः एक सफेद साड़ी में महिला आकर रूद्राक्ष की माला से जोर-जोर आवाज से जाप करने लगी।

कील का बिछावन दिखा। जब सुबह उठी तो वह मंत्र व सपना पूरी तरह याद रहा। इस सपने की सारी बात उन्होंने पति को बताई और फिर कील ठोककर बाजवट तैयार किया गया। इसके बाद तीन माह से रुद्राक्ष माला एवं सपने में सुने मंत्र को जपने लगी। उन्होंने पूरे नौ दिनों तक अन्न, जल, फल न खाने-पीने का प्रण लिया।