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सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम की नहीं होगी नीलामी, मंत्री सिंधिया ने ये भी कहा…

नई दिल्ली।  केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाय उसका आवंटन किया जाएगा। भारतीय अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी और सुनील मित्तल इसकी नीलामी किए जाने की मांग कर रहे हैं, जबकि एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने इसके आवंटन की वकालत की है।

सिंधिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि हालांकि, सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम मुफ्त नहीं दिया जाएगा तथा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) इसके लिए कीमत तय करेगा।

सिंधिया ने कहा, ‘‘ हर देश को अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) का पालन करना होता है, जो अंतरिक्ष या उपग्रहों में स्पेक्ट्रम के लिए नीति निर्धारित करने वाला संगठन है। आईटीयू ‘असाइनमेंट’ के आधार पर स्पेक्ट्रम दिए जाने के मामले में बेहद स्पष्ट रहा है। इसके अलावा, अगर आप आज दुनियाभर में देखें, तो मुझे एक भी ऐसा देश नहीं दिखता जो उपग्रह के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी करता हो।’’

भारत डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) का सदस्य है। मस्क की स्टारलिंक और अमेजन के प्रोजेक्ट कुइपर जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों ने प्रशासनिक आवंटन का समर्थन किया है।

अंबानी की रिलायंस जियो नीलामी के जरिये ऐसे स्पेक्ट्रम के आवंटन पर जोर दे रही है, ताकि उन पुराने परिचालकों को समान अवसर उपलब्ध कराया जा सके जो स्पेक्ट्रम खरीदते हैं, टेलीकॉम टावर जैसे बुनियादी ढांचे की स्थापना करते हैं। वहीं मित्तल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में पिछले महीने उद्योग जगत के एक समारोह में ऐसे आवंटन के लिए बोली लगाने की जरूरत पर जोर दिया था।

जियो और मित्तल की भारती एयरटेल भारत की पहले और दूसरे नंबर की दूरसंचार कंपनियां हैं। उनका मानना ​​है कि सरकार द्वारा पूर्व-निर्धारित मूल्य पर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम देने से असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल उत्पन्न होगा, क्योंकि उन्हें अपने स्थलीय ‘वायरलेस फोन नेटवर्क’ के लिए स्पेक्ट्रम प्राप्त करने को नीलामी में प्रतिस्पर्धा करनी होगी।

दोनों कंपनियां सैटेलाइट ब्रॉडबैंड क्षेत्र में भी हिस्सेदारी के लिए होड़ में हैं। मस्क की अगुवाई वाली स्टारलिंक वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप लाइसेंस के प्रशासनिक आवंटन की मांग कर रही है, क्योंकि वह दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते मोबाइल टेलीफोनी और इंटरनेट बाजार में प्रवेश करना चाहती है।

सिंधिया ने कहा कि दिसंबर में पारित दूरसंचार अधिनियम 2023 ने इस मामले को ‘अनुसूची 1’ में डाल दिया है, जिसका अर्थ है कि सैटकॉम स्पेक्ट्रम का आवंटन प्रशासनिक रूप से किया जाएगा। ऐसा आवंटन सरकार द्वारा तय की गई कीमत पर होगा और स्टारलिंक जैसी विदेशी कंपनियों को वॉयस तथा डेटा सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देगा। अगर स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाती, तो स्टारलिंक के लिए सेवाएं शुरू करना महंगा हो जाता।

स्टारलिंक ने देश में परिचालन शुरू करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। हालांकि, सिंधिया ने इस आवेदन को लेकर कोई जानकारी नहीं दी। मंत्री ने कहा कि नियामकीय प्रक्रिया बेहद स्पष्ट और पारदर्शी हैं। उन्होंने बताया कि नया दूरसंचार अधिनियम पारित हो चुका है और सैटेलाइट स्पेक्ट्रम स्पष्ट रूप से ‘अनुसूची 1’ का हिस्सा है।

सिंधिया ने कहा, ‘‘…और इसलिए, हम इस समय भारत में निवेश करने की इच्छा रखने वाली किसी भी इकाई के आवेदन पर विचार करने को तैयार हैं। मुझे लगता है कि अभी केवल एक या दो लाइसेंस दिए गए हैं। जो कोई भी भाग लेना चाहता है, भारत निश्चित रूप से उसका स्वागत करेगा।’’