मेरठ। गेमिंग एप (अन्ना रेडी एप) बनाकर देश भर में ठगी का रैकेट चलाने वाले अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पर्दाफाश कर मेडिकल पुलिस ने सोमवार को तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में चौंकाने वाला पर्दाफाश हुआ है। यह गिरोह ठगी की रकम हवाला के जरिए दुबई, कुवैत और सऊदी अरब भेजता हैं। उसके अलावा गैंग ठगी के लिए शेयर बाजार इन्वेस्टमेंट और डिजिटल अरेस्ट की तरकीबें भी अपनाता है।
मुख्य आरोपी आहिल इस समय भी सऊदी अरब में बैठा है। उसका दूसरे साथी की लोकेशन बंगाल में आ रही है। देशभर में गिरोह पर कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं, उसकी पड़ताल की जा रही है।
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि लोहियानगर के जमुनानगर मोहल्ले में रहने वाले सोहेल खान ने एक लाख ठगी का मुकदमा दर्ज कराया। उक्त मुकदमे में पुलिस ने पड़ताल की तो पता चला कि उक्त रकम मुजफ्फरनगर के शाहपुर थाने के तावली गांव निवासी समीर के खाते में चली गई। साइबर और मेडिकल थाना पुलिस ने मामले की जांच कर रही थी।
सोमवार को चेकिंग के दौरान मेडिकल पुलिस ने वरना कार को रोक लिया। कार में सवार आसिफ उर्फ सिप्पा, जमीर उर्फ जमील निवासीगण ताबली थाना शाहपुर और तालिब निवासी मखियाली थाना नई मंडी मुजफ्फरनगर को गिरफ्तार कर लिया। उनके कब्जे से 95 एटीएम कार्ड, चार मोबाइल फोन, पांच बैंक पासबुक नौ चेक बुक, 14 मोबाइल सिम बरामद किए।
आसिफ उर्फ सिप्पा ने पूछताछ में बताया कि 2012 से 2023 तक कुवैत में रहता था। वहां पर उसके भाई महताब रेस्टोरेंट चलाता है। 2016 में उसकी मुलाकात कुवैत में चार्ली उर्फ सद्दाम से हुई, जो छत्तीसगढ़ का रहने वाला है। चार्ली उर्फ सद्दाम एसी टेक्नीशियन का काम करता है। वहां पर दोनों दोस्त बन गए थे। 2023 में कुवैत से भारत लौटने के बाद दोनों ने मोबाइल फोन के जरिये संपर्क किया। छह माह पहले दिल्ली के चांदनी चौक पर दोनों की मीटिंग हुई। सऊदी अरब में रहने वाले मुंबई के आहिल को सद्दाम पहले से जानता था। आहिल भी उस समय मुबंई में था। दोनों ने आहिल के साथ मिलकर ठगी का बड़ा प्लान तैयार किया।
आहिल के द्वारा एक गेमिंग एप (अन्ना रेडी एप) तैयार किया गया। आसिफ उर्फ सिप्पा अपनी जान पहचान के लोगों से फर्जी 40 खाते खुलवाकर कमीशन पर हायर किए। बैंक में लगे उनके दस्तावेजों पर ही मोबाइल सिम भी लेकर सद्दाम को दे दिए। सद्दाम सभी खातों के एटीएम कार्ड अपने पास रखता था। हर रोज यह गिरोह 15 लाख की रकम ठग लेता था। ठगी की रकम को एटीएम से निकालने का काम जमीर उर्फ जमील और तालिब करते थे। हवाला के जरिये उक्त रकम को सभी हिस्सेदारों तक पहुंचाया जाता था।