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दिल्ली-एनसीआर

पीएम मोदी के ‘मन की बात’ की कुछ खास बातें, संविधान, महाकुंभ पर जानें क्या कहा…

नई दिल्ली। रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  ‘मन की बात’ के जरिए लोगों को संबोधित किया। कार्यक्रम के 118वें एपिसोड में पीएम मोदी ने लोगों से कई अहम बातें कीं। पीएम मोदी ने बाबासाहब भीमराव आंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पुराने संबोधनों के कुछ अहम अंश भी सुनाए। पीएम मोदी ने संविधान सभा के सभी महान व्यक्तियों को नमन किया। प्रधानमंत्री ने मन की बात के दौरान अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ का भी जिक्र किया।

ऐसे तो मन की बात कार्यक्रम का प्रसारण हर महीने के आखिरी रविवार को होता है लेकिन इस बार आखिरी रविवार के दिन 26 जनवरी है। इसलिए इसका प्रसारण 19 जनवरी को ही किया गया। प्रधानमंत्री ने मन की बात के दौरान सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं भी दी। उन्होंने कहा कि इस बार का ‘गणतंत्र दिवस’ बहुत विशेष है। ये भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ है। इस वर्ष संविधान लागू होने के 75 साल हो रहे हैं। मैं संविधान सभा के उन सभी महान व्यक्तित्वों को नमन करता हूं, जिन्होंने हमें हमारा पवित्र संविधान दिया।

संविधान सभा के दौरान अनेक विषयों पर लंबी-लंबी चर्चाएं हुईं। वो चर्चाएं संविधान सभा के सदस्यों के विचार, उनकी वो वाणी, हमारी बहुत बड़ी धरोहर है। देश में जब 1951-52 में पहली बार चुनाव हुए, तो कुछ लोगों को संशय था, कि क्या देश का लोकतंत्र जीवित रहेगा? इन सब के बीच हमारे लोकतंत्र ने सारी आशंकाओं को गलत साबित किया। आखिर भारत लोकतंत्र की जननी है। मैं देशवासियों से कहूंगा कि ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में अपने मत के अधिकार का उपयोग करें, हमेशा करें, और देश के लोकतांत्रिक प्रक्रिसा का हिस्सा भी बनें और इस प्रकिया को सशक्त भी करें।

प्रधानमंत्री ने मन की बात के दौरान स्टार्टअप इंडिया का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पहले ही स्टार्टअप इंडिया के 9 साल पूरे हुए हैं। हमारे देश में जितने स्टार्टअप 9 साल में बने हैं उनमें से आधे से ज्यादा टियर 2 और टियर 3 शहरों से हैं और जब यह सुनते हैं तो हर हिन्दुस्तानी का दिल खुश हो जाता है यानि हमारा स्टार्टअप कल्चर बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। जब यह सुनने को मिलता है कि अंबाला, हिसार, कांगड़ा, चेंगलपट्टू, बिलासपुर, ग्वालियर और वाशिम जैसे शहर स्टार्टअप के केंद्र बन रहे हैं, तो ‘मन’ आनंद से भर जाता है। नागालैंड जैसे राज्य में, पिछले साल स्टार्टअप के पंजीकरण में 200% से अधिक की वृद्धि हुई है।

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हजारों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव नहीं, जातिवाद नहीं। इसमें भारत के दक्षिण से लोग आते हैं, भारत के पूर्व और पश्चिम से लोग आते हैं। कुंभ में गरीब-अमीर सब एक हो जाते हैं। एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है, वैसे ही, दक्षिण भू-भाग में, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं। इसी तरह कुंभकोणम से तिरुक्कड-यूर, कूड़-वासल से तिरुचेरई अनेक ऐसे मंदिर हैं, जिनकी परम्पराएं कुंभ से जुड़ी हुई हैं। ‘कुंभ’, ‘पुष्करम’ और ‘गंगा सागर मेला’ – हमारे ये पर्व, हमारे सामाजिक मेल-जोल को, सद्भाव को, एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं। अयोध्या में बीते वर्ष हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा की ये द्वादशी, भारत की सांस्कृतिक चेतना की पुनः प्रतिष्ठा की द्वादशी है। इसलिए पौष शुक्ल द्वादशी का ये दिन एक तरह से प्रतिष्ठा द्वादशी का दिन भी बन गया है।

प्रधानमंत्री ने मन की बात के दौरान सुभाष चंद्र बोस का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 23 जनवरी यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती को अब हम पराक्रम दिवस के रूप में मनाते हैं। उनके शौर्य से जुड़ी इस गाथा में भी उनके पराक्रम की झलक मिलती है। कुछ साल पहले मैं उनके उसी घर में गया था, जहां से वे अंग्रेजों को चकमा देकर निकले थे। उनकी वो कार अब भी वहां मौजूद है। वो अनुभव मेरे लिए बहुत ही विशेष रहा। सुभाष बाबू एक विजनरी थे। साहस तो उनके स्वभाव में रचा-बसा था। इतना ही नहीं, वे बहुत कशल प्रशासक भी थे।

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