मुठभेड़ के दौरान लगी थी तीन गोली
मेरठ। मुस्तफा उर्फ कग्गा गिरोह के चार बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराने वाले एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। उन्हें पेट और लिवर में तीन गोलियां लगी थीं। एक 315 और दो 12 बोर के तमंचे से चलाई गई थीं। मेदांता अस्पताल में बुधवार को दोपहर 2.15 बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया। 1990 में पुलिस सेवा में भर्ती सुनील कुमार 16 वर्षों से एसटीएफ का हिस्सा थे।
मूलरूप से मेरठ के इंचौली थाना क्षेत्र के मसूरी गांव निवासी सुनील कुमार पुत्र चरण सिंह एक सितंबर 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे। एसटीएफ का गठन होने के बाद उन्होंने 1997 में मानेसर हरियाणा में कमांड कोर्स किया। इसके बाद एक जनवरी 2009 से वह स्पेशल टास्क फोर्स में आ गए। 16 साल से वह एसटीएफ का हिस्सा हैं।
सुनील कुमार सात अगस्त 2002 को हेड कांस्टेबल के पद पर प्रोन्नत हुए। 13 मार्च 2008 को जनपद फतेहपुर में हुई मुठभेड़ में ओमप्रकाश उर्फ उमर केवट को मार गिराने में अपनी जान को जोखिम में डालकर अदम्य साहस व शौर्य के लिए उनको 16 सितंबर 2011 में आटट आफ टर्न प्रमोशन देकर प्लाटून कमांडर पद पर पदोन्नत किया गया।
इसी के चलते 22 अप्रैल 2020 को दलनायक के पद पर प्रमोशन किया गया। एसटीएफ में उनका कई बड़ी घटनाओं में योगदान रहा है। सोमवार की रात यह एक लाख के इनामी अरशद समेत चार बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे थे।
एएसपी एसटीएफ बृजेश कुमार ने क्या बताया?
एएसपी एसटीएफ बृजेश कुमार ने बताया कि दोपहर को 2ः15 बजे उपचार के दौरान मेदांता हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने सुनील कुमार को मृत घोषित कर दिया। सुनील कुमार की शादी 35 वर्ष पहले मुनेश से हुई थी। उनका एक बेटा मोनू और बेटी नेहा। मोनू मौके पर ही अस्पताल में मौजूद है, जबकि पत्नी और बेटी को अस्पताल से परिवार के लोग गांव में लेकर आ गए हैं।