ग्वालियर। किडनेप होने के 13 घंटे 33 मिनट बाद अपहरणकर्ताओं के चंगुल में रहा मासूम शिवाय अपने माता-पिता के पास सकुशल लौट आया है। अपराधियों में पकड़े जाने का डर था, जनता भी खुलकर इस घटना के विरोध में सामने आई। नतीजन अपराधी शिवाय को छोड़कर भागना पड़ा। शिवाय की सुरक्षा सबसे जरूरी थी और वह सकुशल लौट आया। पुलिस ने बच्चे को घरवालों के हवाले कर दिया है। वहीं, अपहरण की घटना को मुख्यमंत्री और डीजीपी ने संज्ञान लेकर पुलिस को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग
अब लोगों की मांग है कि अपराधियों को सबक भी ऐसा मिले, जिससे रूह कांप उठे। जितनी दुस्साहसिक वारदात की, ऐसी ही सजा भी मिलनी चाहिए। शिवाय तो घर लौट आया है, लेकिन अभी अपराधी पकड़ से बाहर हैं। यह पुलिस के लिए चुनौती है। हालांकि, अहम सुराग पुलिस के हाथ लगे हैं, जिनपर टीमें लगी हुई हैं।
14 घंटे तक जुटे रहे…दो आइजी, डीआइजी और तीन एसपी
आइजी ग्वालियर रेंज, आइजी चंबल रेंज, डीआइजी ग्वालियर रेंज, एसएसपी ग्वालियर, भिंड और मुरैना। इसके अलावा ग्वालियर के एएसपी श्रीकृष्ण लालचंदानी, सीएसपी आयुष गुप्ता, सीएसपी नागेंद्र सिंह सिकरवार, आठ निरीक्षक और करीब 100 जवान 14 घंटे तक बच्चे को सकुशल घर लौटाने और आरोपितों की तलाश में लगे रहे।
घर के पास से ही किया गया अपहरण
मुरार स्थित सीपी कालोनी में शकर कारोबारी राहुल गुप्ता के छह वर्षीय मासूम बेटे शिवाय गुप्ता के अपहरण ने शहर को दहलाकर रख दिया। सुबह 8.07 बजे शिवाय को उसकी मां आरती स्कूल बस पर छोड़ने के लिए जा रही थीं, तभी दो नकाबपोश बदमाश आरती की आंख में मिर्च झोंककर बच्चे का अपहरण कर ले गए। बच्चे के अपहरण की इस दुस्साहसिक वारदात को अंजाम देने वाले बदमाश चंद मिनट में ही शहर की सीमा को पार कर पड़ोसी जिले मुरैना में दाखिल हो गए।
चारों तरफ नाकाबंदी में फंसे अपहरणकर्ता शिवाय को ग्वालियर से 57.8 किलोमीटर दूर मुरैना जिले के माता बसैया थाने की हद में आने वाले कांजीबसई गांव में एक ईंट के भट्टे के पास छोड़ भागे। रात 11.37 बजे आइजी अरविंद सक्सैना, डीआइजी अमित सांघी शिवाय को अपनी गाड़ी से घर लेकर पहुंचे।
मां बोली…मेरा लाल वापस आ गया, सांस लेना मुश्किल था
शिवाय की मां आरती गुप्ता ने कहा कि पल-पल मुझसे सांस नहीं ली जा रही थी। ईश्वर का लाख-लाख धन्यवाद है, मेरा बच्चा वापस आ गया। सभी का मैं बहुत धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने इस दुःख की घड़ी में मेरा साथ दिया। वाकई गर्व हैं, हम ऐसे शहर में रहते हैं, जहां पूरा शहर ऐसी घटना पर एकजुट हो जाए। मैंने मन्नत मांगी थी कि बेटा वापस आ जाएगा तो महामृत्युंजय पाठ कराऊंगी।