पीएनबी घोटाले में वांछित भगोड़े मेहुल चोकसी (Mehul Choksi ) को भारतीय कानून के कठघरे में लाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। बेल्जियम में गिरफ्तार हीरा कारोबारी की कस्टडी हासिल करने के लिए भारत का प्रत्यर्पण आवेदन बेल्जियम पहुंच गया है। इस केस पर जल्द कार्रवाई शुरु होने की उम्मीद है।
बेल्जियम सरकार के न्याय विभाग ने बताया कि मेहुल चौकसी को संभावित कानूनी प्रक्रिया की कड़ी में 12 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया गया। उसे अंतरीप से बीते शनिवार को गिरफ्तार किया गया। बेल्जियन फेडरल पब्लिक सर्विस ऑफ जस्टिस ने अपने जवाब में कहा कि भारत सरकार की तरफ से उसके लिए प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा गया है। हालांकि अधिकारियों ने लंबित कानूनी प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा कि इस बारे में अभी अधिक कुछ नहीं बताया जा सकता है। बेल्जियन अधिकारियों ने बताया कि मेहुल को भी अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा।
हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी और नीरव मोदी, भारत में आर्थिक अपराध के लिए वांछित हैं और उन्हें वापस लाने के लिए भारत लंबे समय से कोशिश कर रहा है। नीरव मोदी जहां ब्रिटेन की जेल में है और कानूनी विकल्पों का सहारा लेकर प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश कर रहा है। वहीं भारत से भागकर एंटीगुआ-बार्बुडा पहुंचा मेहुल चौकसी भी बीते सात सालों से भारतीय एजेंसियों की पकड़ से बचने का प्रयास करता रहा है।
चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक को करोड़ों रुपए का चूना लगाने का आरोप है। वहीं भारत में रहकर इन आरोपों का जवाब देने के बजाए चोकसी और नीरव मोदी परिवार समेत देश से फरार हो गए थे। चोकसी इससे पहले डॉमनिक रिपब्लिक में भी पकड़ा गया था। भारत ने उसकी कस्टडी हासिल करने के लिए कानूनी आवेदन भी किया था, लेकिन वकीलों के मदद से चोकसी भारतीय एजेंसियों की पकड़ से बच निकला।
मेहुल चोकसी से जुड़ा मामला क्या है?
मेहुल चोकसी का नाम पहली बार 2018 में सामने आया, जब एक विशेष पीएमएलए कोर्ट ने चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी और नीशल मोदी के खिलाफ एक गैर-जमानती वारंट जारी किया। आरोप है कि नीरव और मेहुल ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर बैंक को करीब 13,000 करोड़ रुपये का चूना लगाया। यह बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला कहा जाता है।
इन लोगों ने पीएनबी की मुंबई के फोर्ट में स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच के अधिकारियों की मदद से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (LoU) के जरिए बैंक से कर्ज पर रकम लेकर विदेशों में ट्रांसफर की। आरोपियों ने फर्जीवाड़े से LoU की अवधि एक साल तक दिखाई और महंगे आभूषणों का आयात किया, जबकि रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के मुताबिक, इनकी अवधि 90 दिन ही हो सकती है, जिसके बाद कर्ज वापसी जरूरी है।
भारतीय बैंकों की विदेश में मौजूद शाखाओं ने आरबीआई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया। वे ऐसे दस्तावेज मुहैया कराने में नाकाम रहे, जिसके जरिए विदेश में उनसे कर्ज हासिल किया गया।