बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि 5 सालों तक महिला की सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंधों को रेप नहीं कहा जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने एक युवक पर लगे एक्स गर्लफ्रेंड के रेप के आरोप को खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि उसपर सेक्शन 323 और सेक्शन 506 के तहत मामला चलता रहेगा।
बेंगलुरु के मल्लिकार्जुन देसाई पर उसकी एक्स गर्लफ्रेंड ने रेप और क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट का आरोप लगाया था। वे दोनों पिछले 5 साल से रिलेशनशिप में थे। युवती ने कहा कि रिलेशनशिप के दौरान युवक ने शादी का वादा कर उससे शारीरिक संबंध बनाए थे, लेकिन बाद में शादी से इनकार कर दिया, इसलिए ये रेप है।
मल्लिकार्जुन के खिलाफ सेशन कोर्ट में मामला शुरू हो गया था, जिसके बाद वह हाईकोर्ट पहुंचा था। उसने दलील दी- हम दोनों एक-दूसरे के प्यार में थे और शादी करना चाहते थे लेकिन जाति अलग होने की वजह से हमारी शादी नहीं हो पाई। हम दोनों के बीच संबंध सहमति से बने थे इसलिए इसे रेप नहीं कहा जा सकता।
जस्टिस नागप्रसन्ना ने अपने फैसले में कहा कि महिला ने एक, दो या तीन बार नहीं बल्कि 5 सालों तक शारीरिक संबंधों के लिए सहमति दी, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि 5 सालों तक उसकी मर्जी के बिना उसकी सहमति ली गई।
कोर्ट ने कहा कि रिलेशनशिप के लंबे वक्त की वजह से इस मामले में सेक्शन 375 (रेप की धारा) नहीं लगाई जा सकती और सेक्शन 376 के तहत सजा नहीं सुनाई जा सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने आईपीसी के सेक्शन 376, 376(2)(एन), 354, 406 और 504 के तहत युवक पर लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया।