कोरबा। सड़क दुर्घटना के ज्यादातर मामले में हेड इंज्युरी के केस सामने आ रहे हैं। इसे देखते हुए जिले के सरकारी अस्पताल में डीएमएफ से न्यूरो सर्जन की संविदा नियुक्ति की गई है। न्यूरो सर्जन की पदस्थापना जिला स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में की है। उन्हें सेवा देते करीब एक माह होने को है, लेकिन अब तक अस्पताल में न्यूरो डिपार्टमेंट शुरू नहीं हो सका है, क्योंकि न तो डिपार्टमेंट के लिए अतिरिक्त स्टाफ है और न ही आवश्यक उपकरण। ऐसे में न्यूरो सर्जन अभी ओपीडी में बैठकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। न्यूरो डिपार्टमेंट में न्यूरो सर्जन के साथ ही दूसरे प्रशिक्षित स्टाफ और सर्जरी के लिए अलग से ऑपरेशन थियेटर की आवश्यकता है, इसलिए उनकी नियुक्ति के बाद अब न्यूरो डिपार्टमेंट के संचालन के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रशासन को जरूरी उपकरण की खरीदी के लिए पत्र लिखा गया है, जिसमें 25 लाख से अधिक की लागत बताई गई है।
डीएमएफ या सीएसआर मद से होगी उपकरण की खरीदी स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जिले में हेड इंज्युरी के केस में मरीजों की जान बचाने को लेकर कलेक्टर संजीव झा काफी गंभीर है। इसलिए उनके मार्गदर्शन में डीएमएफ से संविदा में न्यूरो सर्जन की नियुक्ति की गई है। आगे निश्चित ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन के डिमांड के अनुसार डीएमएफ या सीएसआर मद से न्यूरो डिपार्टमेंट के लिए जरूरी उपकरण की खरीदी की जाएगी।
सुविधा बढ़ने पर हेड इंज्युरी के केस में मिलेगी सफलता जिले में हर साल औसतन ढाई सौ लोगों की मौत सड़क दुर्घटना के कारण होती है। ट्रैफिक पुलिस की समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक सड़क दुर्घटना में प्रतिवर्ष औसतन 40 प्रतिशत लोगों की मौत हेड इंज्युरी की वजह से होती है। ऐसे में जिले के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुविधा बढ़ी तो हेड इंज्युरी के केस में त्वरित चिकित्सा लाभ मिलने से कई लोगों की जान बच जाएगी।
उपकरण खरीदी के लिए भेजा गया है पत्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल के संयुक्त संचालक डॉ. गोपाल कंवर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज संबद्ध जिला अस्पताल में लगातार सुविधाएं बढ़ रही है। डीएमएफ से न्यूरो सर्जन की नियुक्ति के बाद अब उनके डिपार्टमेंट व ओटी संचालन के लिए उपकरण की खरीदी जरूरी है। इस संबंध में प्रशासन को पत्र भेजा गया है। निश्चित ही स्वीकृति मिल जाएगी। —