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सूर्य ग्रहण 2023: साल का पहला सूर्य ग्रहण कल, भारत के लोग नहीं देख सकेंगे

साल का पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार, 20 अप्रैल को लगेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि के दिन लगेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष गणना के मुताबिक साल 2023 के इस सूर्य ग्रहण के मुताबिक सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में मौजूद रहेंगे। आइए जानते हैं साल के पहले सूर्य ग्रहण की सारी जानकारी।गुरुवार 20 अप्रैल 2023 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। भारतीय समय के अनुसार यह सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से शुरू हो जाएगा जो दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक चलेगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट तक रहेगी। सूर्य ग्रहण का नजारा भारत के लोग नहीं देख सकेंगे।यह सूर्य ग्रहण आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में देखा जा सकेगा। यह सूर्य ग्रहण चीन, थाईलैंड, अमेरिका, मलेशिया, जापान, न्यूजीलैंड, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर जैसी जगहों पर दिखाई देगा। भारत में सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देने के कारण इसका सूतककाल मान्य नहीं होगा। शास्त्रों के अनुसार जहां-जहां पर ग्रहण का असर होता है, वहां पर सूतक काल प्रभावी माना जाता है। इस कारण से भारत में सूतक काल प्रभावी नहीं होगा। सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल ग्रहण के लगने के 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है और ग्रहण की समाप्ति तक रहता है। 20 अप्रैल के बाद साल का दूसरा ग्रहण 14 अक्टूबर को होगा।क्या होता है सूतक काल ?धार्मिक नजरिए से सूतककाल को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूतक काल के दौरान सूर्य और चंद्रमा पीड़ा में होते हैं। ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। सूतक काल के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण पर सूतक के दौरान भगवान की मूर्तियों का स्पर्श नहीं किया जाता और न ही इनकी पूजा-पाठ होती है। सूतक काल के दौरान मंदिरों के पर्दे और दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। सूतक काल की शुरूआत से लेकर इसके खत्म होने तक न तो खाना बनाया जाता है और न ही खाना खाया जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करना बहुत ही शुभ होता है। ग्रहण की समाप्ति के बाद पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव किया जाता है।कंकणाकृति सूर्य ग्रहण रहेगा खाससाल 2023 का पहला ग्रहण बेहद की खास रहने वाला होगा। यह कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा। खगोल विज्ञान के मुताबिक कंकणाकृति सूर्य ग्रहण एक तरह का मिला जुला ग्रहण होता है। जिसमें ग्रहण एक कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के रूप में शुरू होता है फिर धीरे-धीरे यह पूर्ण सूर्य ग्रहण में बदल जाता है और फिर वापस आकर कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में बदल जाता है। इसके पहले इस तरह का कंकणाकृति सूर्य ग्रहण का नजारा साल 2013 में देखने को मिला था। इस तरह से यह सूर्य ग्रहण एक हाइब्रिड सूर्य ग्रहण होगा। जिसमें यह आंशिक , कुंडलाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। आपको बता दें कि आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के एक छोटे से हिस्से को कवर करता है। वहीं कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य के बीचों-बीच मे आ जाता है तब सूर्य कुछ देर के लिए एक चमकदार अंगूठी की तरह दिखाई देने लगता है। इस तरह के सूर्यग्रहण को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण माना जाता है।