नयी दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र ने कोविड-19, यूक्रेन युद्ध, महंगाई और ब्याज दर महंगा करने की नीति जैसी चुनौतियों के बीच वर्ष 2023 के लिए वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर गिरकर 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जो कि हाल के दशकों की सबसे निम्न वृद्धि दर होगी।
संयुक्त राष्ट्र विश्व आर्थिक परिस्थिति एवं संभावनायें (डब्ल्यूईएसपी)-2023 रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में विश्व अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक कोविड-19 महामारी, यूक्रेन युद्ध और उससे उत्पन्न खाद्य एवं ईंधन संकट बढ़ती मुद्रा स्फीति, कर्ज की तंगी और इसके साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न आपातकालीन परिस्थितियां झेलनी पड़ी जो एक-दूसरे की गंभीरता को और बढ़ाने वाली रहीं।
रिपोर्ट में कहा गया है, इस पृष्ठभूमि में 2022 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि 2022-23 की तुलना में 2023 में 1.9 प्रतिशत रहने की संभावना है जो पिछले कई दशक की न्यूनतम वृद्धि होगी।
नयी दिल्ली में रिपोर्ट को जारी करते हुए संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक कार्यालय के अर्थशास्त्री क्रिस्टोफर माइकल गैरोवे ने कहा कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि में गिरावट के कारण स्वस्थ विकास के लक्ष्यों के अंतर्गत 17 लक्ष्यों को प्राप्त करने की संभावनाओं को धक्का लगने का खतरा है।
रिपोर्ट में निकट भविष्य में वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को धूमिल और अनिश्चित बताते हुए कहा गया है कि 2024 तक कुछ चुनौतियां कम होंगी और उस वर्ष आर्थिक वृद्धि हल्की सुधर कर 2.7 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। रिपोर्ट में भारत की वृद्धि 2023 में मजबूत बने रहने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में 2023 में 5.8 प्रतिशत के साथ वृद्धि दर मजबूत बने रहने की उम्मीद है यद्यपि यह 2022 के अनुमानित 6.4 की तुलना में थोड़ा कम
है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्याज दर बढऩे और वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी से भारत में निवेश एवं निर्यात में रुकावटें आ रही हैं। वर्ष 2022 में औसत मुद्रास्फीति नौ प्रतिशत तक पहुंच गयी जो दो दशक का इसका उच्चतम स्तर है लेकिन ऊंची कीमतों के कारण मांग कम होने से कीमतों का दबाव 2023 में कुछ कम होने की उम्मीद की जा रही है, बावजूद इसके वैश्विक मुद्रास्फीति इस वर्ष ऊंची बनी रहेगी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2020 में ब्याज दरों में लगातार आक्रामक तरीके से वृद्धि करने वाले केन्द्रीय बैंकों की मौद्रिक नीति कसने की रफ्तार इस वर्ष कुछ कम होगी। 2022 में 85 फीसदी केन्द्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने या कीमतों में तेजी की अवधारणा पर अंकुश लगाने के लिए नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्याज दर बढऩे और अमेरिका डालर की विनिमय दर मजबूत होने से बहुत से विकासशील देशों के लिए कर्ज की किस्तें अदा करने की लागत बढ़ गयी। उनके लिए राजकोषीय स्थिति तंग होने से स्वस्थ विकास के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाना भी कठिन हुआ है।
रिपोर्ट में अनुमान है कि दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि दर 2023 में 4.8 प्रतिशत रहेगी, जो 2022 में 5.6 प्रतिशत थी। पश्चिम एशिया की वृद्धि दर पिछले वर्ष की 6.4 प्रतिशत से घटकर 3.5 प्रतिशत रहने,लैटिन अमेरिका एवं कैरिबियाई देशों की वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत से घटकर 1.4 प्रतिशत रहने,अमेरिका की वृद्धि दर 1.8 प्रतिशत से घटकर 0.4 प्रतिशत रहने, यूरोपीय यूनियन की वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत से घटकर 0.2 प्रतिशत, चीन की वृद्धि दर 2022 के तीन प्रतिशत के मुकाबले इस साल बढ़कर इस वर्ष 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 रूस की अर्थव्यवस्था का संकुचन अनुमान से कम हुआ। यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में 30 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आयी। अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाओं में 2022 की वृद्धि 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो इस वर्ष गिरकर 3.8 रह सकता है। पूर्वी एशियाई देशों की वृद्धि दर पिछले साल के 3.2 प्रतिशत के मुकाबले इस साल 4.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार के असर को दर्शाता है।