नई दिल्ली । स्लीपर वर्जन के लिए 1800 करोड़ रुनवरी (आईएएनएस)पये रेलवे बजट से स्वीकृत किए गए हैं। अगले दो सालों में देश के अलग-अलग रूटों पर इस संस्करण की 400 ट्रेनें ट्रैक पर उतारी जायेंगी।
रेलवे के अनुसार आईसीएफ साहित कई कंपनियों ने इन ट्रेनों को बनाने में दिलचस्पी दिखाई है। 400 ट्रेनों में से पहली 200 चेयर कार ट्रेनें होंगी और बाकी स्लीपर वर्जन होंगी। यह भी बताया गया है कि चेयर कार ट्रेनों को अधिकतम 180 किमी प्रति घंटे की गति से चलाने के लिए डिजाइन किया जाएगा और ये व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए 130 किमी प्रति घंटे की गति से चलेंगी। जबकि बाकी 200 ट्रेनें जो स्लीपर वर्जन में होंगी उन्हें 220 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति और 200 किमी प्रति घंटे की व्यावसायिक गति से चलने के लिए डिजाइन किया जाएगा। जानकारी के अनुसार अगले दो साल में सभी 400 ट्रेनें देश के अलग-अलग रेल मार्गों की पटरी पर दौडऩे के लिए तैयार हो जाएंगी।
दरअसल वंदे भारत ट्रेनों के चेयर कार संस्करण धीरे-धीरे शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों की जगह लेंगे और ट्रेन के स्लीपर संस्करण राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों की जगह लेंगे। रेलवे के अनुसार वंदे भारत एक्सप्रेस के स्लीपर वर्जन के कोच एल्युमिनियम के बने होंगे और इसे अधिकतम 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने के लिए डिजाइन किया जाएगा। हालांकि सफर के लिए यह स्लीपर ट्रेन 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी।
जानकारी के अनुसार दक्षिण भारत के कई राज्यों में इस साल के अंत में वंदे भारत ट्रेनों की शुरूआत होगी। नए रूट्स में तेलंगाना में काचीगुड़ा से कर्नाटक में बेंगलुरु तक और तेलंगाना में सिकंदराबाद से आंध्र प्रदेश में तिरुपति और महाराष्ट्र में पुणे शामिल हैं। कर्नाटक और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने की संभावना है। अब तक देश में आठ वंदे भारत एक्सप्रेस चल रही हैं। ये नागपुर-बिलासपुर, दिल्ली-वाराणसी, दिल्ली-कटड़ा, दिल्ली-ऊना, गांधीनगर-मुंबई, चेन्नई-मैसूर, हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी और सिकंदराबाद-विशाखापट्टनम रूट पर चल रही हैं।