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Causes of Paralysis:
स्वास्थ्य

Causes of Paralysis: लकवा (पैरालिसिस) के कारण, लक्षण और इलाज

Causes of Paralysis: मानव का शरीर एक जटिल संरचना है, जिसकी उलझी हुई गुत्थियों को सुलझाने की कोशिश चिकित्सा विज्ञान करता रहता है। वहीं, शरीर के कुछ कष्ट ऐसे हैं, जिन पर पूरी तरह नियंत्रण संभव नहीं हो सका है। ऐसा ही एक कष्ट है लकवा यानी पैरालिसिस होना। शरीर के लकवाग्रस्त हो जाने पर बीमार व्यक्ति को काफी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है और पैरालिसिस का इलाज भी जटिल प्रक्रिया है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम इस बीमारी के लक्षण, प्रकार और बचाव पर चर्चा करेंगे। साथ ही हम ये जानने की भी कोशिश करेंगे कि लकवा का उपचार कैसे किया जा सकता है।

Causes of Paralysis

लकवा क्या है?

लकवा को पैरालिसिस और पक्षाघात भी कहा जाता है। इसका मतलब मांसपेशियों की कार्यप्रणाली का प्रभावित होना है। इस अवस्था में शरीर के किसी एक हिस्से की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच संदेश का आदान-प्रदान ठीक तरीके से नहीं हो पाता। लकवा पूर्ण या आंशिक हो सकता है। यह शरीर के एक या दोनों तरफ हो सकता है। यह सिर्फ एक क्षेत्र में या पूरे शरीर में भी हो सकता है। यह दोनों पैरों सहित शरीर के निचले आधे हिस्से, हाथ और पैर को प्रभावित कर सकता है ।

लकवा के प्रकार 

लकवा के प्रकार कई हैं। इसे आसानी से समझाने के लिए हम इसे प्रभावित हिस्से, समय व अवधि के हिसाब से बांट रहे हैं

1. प्रभावित हिस्से के आधार पर:

मोनोपलेजिया (Monoplegia) : इस लकवे व पक्षाघात में शरीर का केवल एक अंग प्रभावित होता है। मोनोपलेजिया लकवे में आमतौर पर एक बांह प्रभावित होती है.

  • हेमीपलेजिया (Hemiplegia) : एक तरफ का हिस्सा प्रभावित होने को हेमीपलेजिया लकवा कहा जाता है। इस पेरालिसिस के प्रकार में बॉडी के एक ही साइड का एक हाथ, एक पैर और ट्रंक (पेट, कंधा, सीना) प्रभावित होता है .
  • क्वाड्रिप्लेजिया (Quadriplegia) : पेरालिसिस के इस प्रकार को टेट्राप्लेजिया के नाम से भी जाना जाता है। इसमें व्यक्ति के शरीर की दोनों बांह और दोनों पैर प्रभावित होते हैं.
  • पैरापलेजिया (paraplegia) : कमर से नीचे के अंगों में होने वाले पक्षाघात को पैरापलेजिया लकवा कहा जाता है। इस पेरालिसिस के प्रकार में व्यक्ति के दोनों पैर प्रभावित होते हैं.
  • बेल्स पेल्से (Bell’s Palsy) : पक्षघात के इस प्रकार में व्यक्ति की मांसपेशियां कमजोर होने की वजह से चेहरे पर लकवा होता है। इस दौरान चेहरा थोड़ा-टेढ़ा हो जाता है, जिससे बोलने और खाने-पीने में समस्या होने लगती है .

Causes of Paralysis

लकवा (पैरालिसिस) के कारण 

लकवा के कारण कई हो सकते हैं। इनमें से पैरालिसिस के कुछ मुख्य कारणों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (1) (5) :

  • स्ट्रोक या किसी तरह का अटैक।
  • कान का दर्द।
  • स्लिप पैरालिसिस।
  • हड्डी या पीठ और सिर में गहरी चोट।
  • हाइपोकैलेमिया (पोटैशियम की कम मात्रा)।
  • मल्टीपल स्क्लेरोसिस। केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली यानी ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड की बीमारी।
  • शरीर के एक हिस्से, हाथों में या हाथ-पैर दोनों में कमजोरी महसूस होना।
  •  गर्दन में चोट लगना।
  • ऑटोइम्यून रोग जैसे कि गुलेन-बर्रे सिंड्रोम।
  • शराब संबंधी मायोपैथी। मांसपेशियों से संबंधित रोग को मायोपथी कहते हैं। इसमें मांसपेशी फाइबर ठीक से काम नहीं करते हैं। यह स्थिति शराब पीने से पैदा हो सकती है।
  • जन्मजात मायोपैथी यानी जन्म से ही मांसपेशियों का कमजोर होना।
  • डर्माटोमोसिटिस (Dermatomyositis), जिसमें त्वचा में लाल चकत्ते होना, मांसपेशियों में कमजोरी और इंफ्लामेशन होता है।
  • स्टैटिन व स्टेरॉयड जैसी दवाओं से होने वाली मांसपेशियों में कमजोरी।

लकवा (पैरालिसिस) का इलाज

तो इस समस्या को पूरी तरह से ठीक करने के लिए पक्षाघात का इलाज कुछ नहीं है। बस पैरालिसिस का इलाज करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं और व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। पैरालिसिस के इलाज के लिए वर्तमान में मेथिलप्रेडनिसोलोन (methylprednisolone) की उच्च खुराक का प्रयोग कारगर माना जाता है, क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी और स्पाइनल कॉड में आई क्षति को कम कर सकता है। फिलहाल, इस दवा के कई दुष्प्रभाव भी नजर आए हैं, जिस कारण चिकित्सा जगत में इसका प्रयोग विवादास्पद हैं। इसलिए, बेहतर यही होगा कि डॉक्टर की सलाह पर ही दवा का सेवन करें.

इसके अलावा लकवाग्रस्त व्यक्ति के जीवन को सरल बनाने के लिए कुछ उपाय अपनाए जाते हैं, जैसे :

    • बिजली के झटके (इलेक्ट्रिक स्टीमुलेशन) : कुछ मामलों में डॉक्टर इलेक्ट्रिक शॉक ट्रीटमेंट के जरिए मांसपेशियों को उत्तेजित करने का प्रयास कर सकते हैं।
    • फिजियोथेरेपी : इसमें नसों और मांसपेशियों की कार्यप्रणाली को सामान्य करने के लिए मालिश और व्यायाम जैसे उपचारों को अपनाया जा सकता है।
    • उपकरणों का इस्तेमाल : अगर किसी मरीज का चलना-फिरना मुश्किल है, तो उसे इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर दी जा सकती है। इनके प्रयोग से लकवाग्रस्त व्यक्ति के लिए कहीं भी आना-जाना आसान हो सकता है।मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular dystrophy) यानी मांसपेशियों से जुड़ी ऐसी बीमारी, जिसमें प्रोटीन का उत्पादन न होने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।