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छत्तीसगढ़ रायपुर

तम्बाकू नशा मुक्ति केंद्र में संवर रहा है जीवन,परामर्श और उपचार से छूट रही नशे की लत

बलौदाबाजार. कलेक्टर चंदन कुमार के निर्देश पर राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला अस्पताल बलौदाबाजार में चल रहे तम्बाकू नशा मुक्ति क्लीनिक का लाभ लेकर क्षेत्र की जनता का जीवन संवर रहा है। अजय कुमार (बदला हुआ नाम) आयु 35 वर्ष ने बताया की वह जब 15 वर्ष के थे तब पहली बार सिगरेट का सेवन दोस्तों की संगत में शुरू किया था। शुरू में सप्ताह में दो-तीन बार सिगरेट पिया करता था। परंतु समय के साथ काम मे बढ़ोतरी और तनाव के कारण यह मात्रा लगातार बढ़ती गई क्योंकि मेरा काम ट्रांसपोर्टिंग से जुड़ा हुआ है जिस कारण बार-बार सिगरेट पीने के अवसर और अधिक बन गए। समय के साथ मेरे सिगरेट पीने की मात्रा इतनी अधिक हो गई थी दिन भर में में 12 से 15 सिगरेट पी जाया करता था जिससे परिवार में मेरी पत्नी के साथ अपनी इस लत के चलते अक्सर विवाद हुआ करता था और मानसिक तनाव बढ़ता, जिससे मैं और अधिक सिगरेट पीने लगा। 2020 में मेरी पत्नी द्वारा बार-बार समझाईश देने पर मैंने आखिरकार जिला चिकित्सालय में चल रहे तंबाकू नशा मुक्ति क्लीनिक से संपर्क किया। नशा मुक्ति केंद्र के सोशल वर्कर रोशन कुमार और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मोहिंदर घृतलहरे ने बताया की जब उक्त मरीज ने हमसे संपर्क किया तब वह अपने नशे की आदत के कारण न केवल स्वयं बहुत परेशान थे अपितु परिवार में भी तनाव और कलह बढ़ता जा रहा था । ऐसे में उनकी कई चरणों की काउंसलिंग की गई एवं हौसला प्रदान किया गया की सिगरेट छोड़ी जा सकती है।

इस नशा मुक्ति क्लीनिक में ना केवल परामर्श अपितु निकोटिन पैच एवं निकोटिन गम भी प्रदान किया गया जिसके सेवन से धीरे-धीरे मरीज की धूम्रपान करने की मात्रा कम होने लगी।6 माह तक के सतत परामर्श एवं उक्त उपचार लेने से आज मरीज पूरी तरह से तम्बाकू के नशे से मुक्त है तथा पारिवारिक जीवन भी शांतिपूर्ण है।तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला सलाहकार डॉक्टर विनोद कुमार पटेल के अनुसार तंबाकू का सेवन सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक है इससे व्यक्ति को कई स्तरों पर बीमारियों की आशंका होती है इससे ना केवल कैंसर जैसी शारीरिक व्याधियां जन्म लेती हैं अपितु तनाव, चिंता ,घबराहट अनिर्णय जैसी मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। तंबाकू में पाया जाने वाला सबसे मुख्य रसायन निकोटिन है जो शरीर के लिए अत्यंत ही नुकसानदायक होता है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार अवस्थी और तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ रोशन देवांगन के अनुसार विगत वर्ष जिला अस्पताल के तंबाकू नशा मुक्ति क्लिनिक में 2127 लोगों ने अपना पंजीयन करवाया था  इस क्लीनिक में औसतन 200 मरीज प्रतिमाह की ओपीडी होती है। जिले में इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर 20 लोगों को तंबाकू छोड़ने हेतु प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया है। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एम पी महिस्वर ने बताया की नेशनल हेल्थ सर्वे के अनुसार जिले में 14.9 प्रतिशत महिला और 40.8 प्रतिशत पुरुष किसी न किसी रूप में तंबाकू के नशे से जुड़े हुए हैं जो कि चिंताजनक स्थिति है। यार दोस्तों के संगत या किसी के कहने पर शुरू में शौकिया तौर पर शुरू किया गया नशा बाद में आदत का रूप ले लेता है जिसके भयंकर दुष्परिणाम दिखाई पड़ते हैं । अतः इस प्रकार के नशे से दूर रहना ही सही रहता है।

जिले में तंबाकू के नशे से मुक्ति हेतु जिला अस्पताल में नशा मुक्ति क्लिनिक सतत रूप से अपना कार्य कर रहा है। इसके साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी तंबाकू नशा मुक्ति के संबंध में परामर्श दिया जाता है। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत कोटपा एक्ट के अंतर्गत कई प्रकार की चलानी कार्यवाही की जाती है। साथ ही जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से समुदाय में इसके रोकथाम हेतु संदेश भी दिया जाता है। जिला प्रशासन के सहयोग से शिक्षण संस्थानों एवं शासकीय कार्यालयों को तंबाकू मुक्त बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है।