मानसिक रोग भी आज के भागदौड़ से भरे जीवन की एक कड़वी सच्चाई है. इस रोग की सबसे हैरान करने वाली बात है इससे इनकार करना या इसे लेकर जागरूकता की घोर कमी. दरअसल हमारे यहाँ ऐसी मानसिकता निर्मित हो गई है कि मानसिक बिमारी को हम शर्मिंदगी से जोड़ कर देखते हैं. जबकि इस चक्कर में न जाने कितना नुकसान हो जाता है. कई लोग तो इसके लक्षणों को भी नहीं जानते हैं जिससे कि इसकी पहचान करके इसका इलाज करा सकें. आज का हमारा लेख मानसिक रोग के प्रकारों और उसके लक्षणों को ही चिन्हित करेगा.
1. मनोभ्रंश रोग
लक्षणों में भूलना, सीमित सामाजिक मेलमिलाप और सोचने की कमज़ोर क्षमता शामिल हैं, जिससे रोजमर्रा के कामकाज प्रभावित होते हैं. याददाश्त जाना, समय के साथ दिमाग का कम काम करना, ठीक से बोलने और समझने में परेशानी, बातें बनाना, भटकाव, शाम के समय भ्रम की स्थिति, सामान्य चीज़ें न पहचान पाना, या सुध-बुध खोना.
2. अवसाद
उदासी या दिलचस्पी खोने की सतत भावना जैसी गंभीर अवसाद की विशेषताएं कई व्यावहारिक और शारीरिक लक्षणों की ओर ले जा सकती हैं. इनमें नींद, भूख, ऊर्जा स्तर, एकाग्रता, दैनिक व्यवहार, या आत्मसम्मान में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं. अवसाद आत्महत्या के विचार के साथ भी जुड़ा हो सकता है.
3. ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार के लक्षण
लक्षणों में किसी बात में कम ध्यान दे पाना और अति-सक्रियता शामिल हैं. व्यवहार संबंधी: अतिसक्रियता, अत्यधिक संवेदनशीलता, आक्रामकता, खुद पर नियंत्रण में कमी, चिड़चिड़ापन, बिना सोचे-समझे जल्दबाज़ी में काम करना, बेचैनी से शरीर हिलाना-डुलाना, या शब्दों या क्रियाओं को लगातार दोहराना.
4. जुनूनी बाध्यकारी विकार के लक्षण
ओसीडी अक्सर कीटाणुओं के डर या चीज़ों को रखने के एक ख़ास तरीके जैसे विषयों पर केंद्रित होता है. लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे शुरू होते हैं और जीवन भर बदलते रहते हैं. लगातार कुछ करने से खुद को रोक न पाना, किसी काम को करने के अपने तरीके से हटकर काम ना कर पाना, खुद के शब्दों को बेमतलब दोहराना, गतिविधियों को दोहराना, चीज़ें जमा करने से खुद को रोक न पाना, बिना सोचे-समझे जल्दबाज़ी में काम करना, व्याकुलता, शब्दों या क्रियाओं को लगातार दोहराना, सामाजिक अलगाव, या ज़रूरत से ज़्यादा सतर्कता बरतना.5. द्विध्रुवी विकार
उन्मादी होने पर रोगी में अत्यधिक ऊर्जा, नींद की ज़रूरत महसूस न होने, वास्तविकता से नाता न रखने जैसे लक्षण होते हैं. अवसाद से घिरने पर रोगी में ऊर्जा की कमी, खुद को प्रेरित न कर पाना और दैनिक गतिविधियों में रुचि न होने जैसे लक्षण मिल सकते हैं. मिज़ाज बदलते रहने की ये प्रक्रिया एक बार में कई दिनों से लेकर महीनों तक चलती है और इसमें आत्महत्या करने जैसे विचार भी आ सकते हैं.
6. स्वलीनता के लक्षण
अलग-अलग लोगों में लक्षणों की सीमा और गंभीरता बहुत ज़्यादा अलग हो सकती हैं. आम लक्षणों में शामिल हैं बातचीत करने में कठिनाई, सामाजिक रूप से जुड़ने में कठिनाई, जुनूनी दिलचस्पियां और बार-बार दोहराने का व्यवहार. अनुपयुक्त सामाजिक संपर्क, आंखों से आंखें कम मिलाना, खुद को नुकसान पहुंचाना, गतिविधियों को दोहराना, बिना सोचे-समझे जल्दबाज़ी में काम करना, लगातार कुछ करने से खुद को रोक न पाना, या शब्दों या क्रियाओं को लगातार दोहराना.
7. मनोविदलाता
स्किज़ोफ्रेनिया के लक्षणों में सच्चाई से परे दिखाई देने वाले विचार या अनुभव होना, अव्यवस्थित बोलना या व्यवहार करना, और दैनिक गतिविधियों में कम भाग लेना शामिल हैं. ध्यान केंद्रित करने और बातें याद रखने में कठिनाई भी मौजूद हो सकती है. बेतरतीब व्यवहार, सामाजिक अलगाव, अत्यधिक संवेदनशीलता, आक्रामकता, खुद को नुकसान पहुंचाना, खुद पर नियंत्रण में कमी, गतिविधियों को दोहराना, दुश्मनी, लगातार कुछ करने से खुद को रोक न पाना, या व्याकुलता.
8. दुश्चिंता
लक्षणों में मामूली घटना के लिए भी बहुत ज़्यादा तनाव होना, चिंता करना छोड़ न पाना और बेचैनी शामिल हैं. थकान, पसीना आना, या बेचैनी. चिड़चिड़ापन या ज़रूरत से ज़्यादा सतर्कता बरतना. अनचाहे खयाल या विचारों का बहुत जल्दी-जल्दी आना या बदलना. चिंता सताना, अत्यधिक चिंता, कमजोर एकाग्रता, धकधकी, निकट भविष्य में विनाश की आशंका, नींद न आना, भय, मतली, या विकंप.
9. अभिघातज के बाद का तनाव विकार के लक्षण
लक्षणों में बुरे सपने या पुरानी यादों की अनुभूति, आघात में वापस ले जाने वाली स्थितियों से दूर रहने की कोशिश, उत्तेजित होने पर ज़रुरत से ज़्यादा प्रतिक्रिया, चिंता या फ़िर खराब मूड शामिल हो सकते हैं. चिड़चिड़ापन, व्याकुलता, खुद का विनाश करने वाला व्यवहार, दुश्मनी, सामाजिक अलगाव, या ज़रूरत से ज़्यादा सतर्कता बरतना. पहले हुई किसी घटना को अचानक, बिना इच्छा के, फिर से अनुभव करना, गंभीर रूप से चिंता करना, डर, या संदेह. गतिविधियों में रुचि न होना या आनंद न आना, अकेलापन, या अपराधबोध. अनिद्रा या बुरे सपने, अनचाहे विचार या संवेगात्मक अनासक्ति.