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दिल्ली-एनसीआर

मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट का लिखित आदेश, पुलिस अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में

नईदिल्ली। मणिपुर हिंसा की जांच पर सुप्रीम कोर्ट का लिखित आदेश सामने आ गया है। कोर्ट ने 7 अगस्त को ही जांच की निगरानी का जिम्मा महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी दत्तात्रेय पटसालगिकर को सौंपने की घोषणा कर दी थी। (10 अगस्त) जारी हुए लिखित आदेश में कहा गया है कि पटसालगिकर सीबीआई और एसआईटी के कामकाज पर नजर रखने के अलावा इस आरोप की भी जांच करेंगे कि हिंसा में मणिपुर पुलिस के कुछ अधिकारियों की भी भूमिका हो सकती है। पटसालगिकर 2 महीने में सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेंगे।

एचसी के पूर्व जजों की कमेटी को भी जमा करनी होगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में राहत और पुनर्वास का काम देखने के लिए 3 पूर्व हाई कोर्ट जजों की कमेटी भी बनाने की बात कही थी। अब जारी लिखित आदेश में इस कमेटी से भी 2 महीने में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने के लिए कहा गया है। कमेटी की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल को दी गई है।
बाकी 2 सदस्य हैं बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस शालिनी फंसालकर जोशी और दिल्ली हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त जस्टिस आशा मेनन. यह कमिटी जल्द ही राज्य का दौरा करेगी। कोर्ट ने राज्य सरकार से उन्हें जरूरी सुरक्षा उपलब्ध करवाने के लिए कहा है।

जांच में बाहर के अधिकारियों को भी किया जाएगा शामिल

2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले समेत जो 11 केस सीबीआई को पहले सौंपे गए थे, उनकी जांच सीबीआई ही करेगी। कोर्ट ने कहा है कि लोगों में विश्वास बहाल करने के लिए जांच में राज्य से बाहर के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा। सीबीआई टीम में डिप्टी एसपी या एसपी रैंक के 5 अधिकारी भी रखे जाएंगे। ये अधिकारी राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और दिल्ली से लिए जाएंगे।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अलग-अलग तरह के अपराध की जांच के लिए कुल 42 विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसे मंजूरी देते हुए कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार राजस्थान, एमपी, ओडिशा, झारखंड और दिल्ली से 1-1 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी को एसआईटी में शामिल होने के लिए भेजे. साथ ही मणिपुर के बाहर से एसपी रैंक के कम से कम 14 अधिकारी भी वहां भेजे जाएं. ये अधिकारी एसआईटी की कमान संभालेंगे। एसआईटी जांच की निगरानी दत्तात्रेय पटसालगिकर करेंगे।