राजनादगांव। शरद पूर्णिमा के अवसर पर राजनांदगांव शहर के मां पाताल भैरवी मंदिर में बर्फानी सेवाश्रम समिति की ओर से हर साल की तरह इस साल भी रोगों को दूर करने जड़ी-बूटी युक्त खीर बांटा गया। बता दें कि लगभग 28 सालों से यहां श्वास, दमा आदि रोगों को दूर करने जड़ी-बूटी से निर्मित खीर का वितरण किया जाता है, जिसे ग्रहण करने देशभर के कई राज्यों से हजारों लोग पहुंचते हैं।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर खुले आसमान के नीचे रखने वाली खीर पर अमृत की बूंद गिरती है। मान्यता है कि इस खीर के सेवन से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है। मां पाताल भैरवी मंदिर में भी शरद पूर्णिमा पर खीर को रोगों से मुक्ति के लिए अमृत रूपी बनाने लगभग 28 सालों से खीर में जड़ी-बूटी मिलाकर बांटा जा रहा है। औषधि युक्त इस खीर के सेवन के लिए देश के कई राज्यों से लाखों लोग मां पाताल भैरवी के मंदिर पहुंचते हैं। जड़ी-बूटी युक्त खीर लेने दुर्ग जिले के चंद्रखुरी से पहुंचे श्रद्धालु नकुल राम यादव का कहना है कि यहां की जड़ी बूटी युक्त खीर का असर हुआ है, जिससे वह स्वस्थ हैं।
सूर्योदय से पहले खीर खाने से रोग होते हैं दूर
शरद पूर्णिमा की रात यहां हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम रात भर मां पताला भैरवी के दरबार में जुटा रहता है। देर शाम से ही लोग यहां खीर लेने कतार लगाकर बैठ जाते हैं। रात लगभग 2 बजे से खीर वितरण के लिए लाइन लगनी शुरू की जाती है। मां पाताल भैरवी मंदिर में शरद पूर्णिमा की रात 4 बजे से सुबह 6 बजे तक जड़ी-बूटी युक्त खीर बांटा जाता है। इस खीर में मिली औषधियों से लोगों को रोग मुक्त करने के उद्देश्य से खीर का वितरण करने का सिलसिला मंदिर समिति की ओर से शुरू किया गया है। हर साल लगभग 40 से 50 हजार लोगों में खीर बांटा जाता है। इस खीर को खाने से श्वास, दमा, वात जैसे रोगों से छुटकारा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। मंदिर समिति से जुड़े कुलबीर सिंह छाबड़ा और नीलम चंद जैन का कहना है कि रोगी को रातभर जागने की सलाह दी जाती है, ताकि ब्लड सर्कुलेशन शरीर में तेज रहे और फिर सुबह 4 बजे खीर खाने से वो रोग से दूर रह सकें।
देशभर से आते हैं श्रद्धालु
बर्फानी धाम में बंटने वाली औषधियुक्त खीर खाने के लिए छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, सहित देश के कई राज्यों से लोग शरद पूर्णिमा की रात यहां पहुंचते हैं। अधिकांश लोगों को एक बार औषधियुक्त खीर खाने से साल भर उन्हें इस रोग से छुटकारा मिलता है और लगातार कुछ वर्षों तक शरद पूर्णिमा के दिन इस खीर का सेवन करने से इन रोगों से छुटकारा भी मिलता है। यही वजह है कि यहां हजारों की संख्या में देश के कई राज्यों से लेगा आते हैं और साल-दर-साल यहां आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।