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टीचर हो तो ऐसा.. .शिक्षक की विदाई समारोह में फफक कर रो पड़े बच्चे और परिजन

कुमारडुंगी (पश्चिमी सिंहभूम)। भारतीय परंपरा में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर माना गया है, इसका जीता जागता उदाहरण पश्चिम सिंहभूम जिले के कुमारडुंगी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बड़ारायकमन गांव में देखने को मिला। यहां प्राथमिक विद्यालय बड़ारायकमन के प्रधानाध्यापक के सेवानिवृत्त होने पर गांव के लोगों ने शिक्षक की विदाई एक अनोखे अंदाज में दी।

पश्चिम सिंहभूम जिले के कुमारडुंगी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बड़ारायकमन गांव में प्राथमिक स्कूल के सेवानिवृत्त शिक्षक निरंजन नायक की विदाई समारोह में बच्चे व अअभिभावक भावुक हो उठे। हो भी क्यों न वह बच्चों को बड़े प्यार से पढ़ाते थे। अपना अधिकतर समय विद्यालय में व्यतीत करते थे। रविवार को भी स्कूल आते थे। उनमें एक उत्कृष्ट शिक्षक के सारे गुण थे।

ढोल-नगाड़े के साथ लोगों ने शिक्षक को पहुंचाया घर

ग्रामीणों ने सेवानिवृत्त शिक्षक निरंजन नायक को दूल्हे की तरह ढोल-नगाड़े के साथ नाच-गाना करघर तक पहुंचाया। इस दौरान सैकड़ों ग्रामीण व छात्र-छात्राओं ने आदिवासी परंपरा में जमकर नाच गाना किया। मंगलवार का पूरा दिन बड़ारायकमन गांव के लिए उत्साह का माहौल बना रहा। सम्मान समारोह में लोगों की भीड़ विद्यालय परिसर से बाहर मुख्य सड़क को जाम किए हुए था।

बच्चों व अभिभावकों की आंखें हुई नम

विदाई समारोह में बच्चों एवं पूर्व छात्र-छात्राओं की आंखें नम हो गईं। बच्चों की आंखें नम होते देख अभिभावक भी भावुक हो उठे। शिक्षक की विदाई समारोह कार्यक्रम के लिए सुबह से ही पूरा गांव व्यवस्था में लगा हुआ था। गांव के मानकी बताते हैं कि निरंजन नायक जैसे अध्यापक देखने को बहुत ही कम मिलते हैं। निरंजन नायक एक ऐसे शिक्षक थे, जो अपने कार्य का निष्ठापूर्वक पालन करते थे। वह रविवार के दिन भी विद्यालय आकर काम करते थे।