चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कैदियों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि केवल दो घंटे खुले में जाने की अनुमति का आदेश उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। सुरक्षा को खतरे की केवल आशंका के आधार पर किसी कैदी को उसके मूल अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। इन टिप्पणियों के साथ ही हाई कोर्ट ने एडीजीपी जेल के 23 दिसंबर 2020 के आदेश को रद कर दिया है।
हाईकोर्ट ने नेलसन मंडेला की लाइनों को किया दर्ज
हाई कोर्ट ने अपने आदेश की शुरुआत करते हुए नेलसन मंडेला की लाइनों को दर्ज किया। इनके अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कोई भी किसी देश को तब तक सही मायने में नहीं जानता, जब तक वह उसकी जेलों के अंदर न हो। किसी राष्ट्र का मूल्यांकन इस आधार पर नहीं किया जाना चाहिए कि वह अपने सर्वाेच्च नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है, बल्कि अपने निम्नतम नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है।
याचिका दाखिल करते हुए जालंधर जेल में बंद जोगिंदर सिंह ने पंजाब के एडीजीपी जेल के इस आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश के तहत कुख्यात कैदियों, जो हाई सिक्योरिटी जोन में हैं, उन्हें खुले में जाने के लिए दिन में केवल दो घंटे दिए गए थे। एक घंटा सुबह और एक शाम को। इस समय के अतिरिक्त उन्हें काल कोठरी में रखा जाता था।
कैदियों को अपने मूल अधिकारों से नहीं किया जा सकता वंचित- हाईकोर्ट
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जेल में किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य प्रभावी सुरक्षा तंत्र स्थापित कर सकता है, लेकिन इस बहाने कैदी को उसके मूल अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। जोखिम को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाते हुए मानवीय गरिमा और जीवन के अधिकार के कानूनी परीक्षणों को पूरा करना आवश्यक है, जो वर्तमान मामले में नहीं किया गया। जेल/सुधारात्मक सुविधाएं आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि ये अपराधियों के सुधार व पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
प्रत्येक व्यक्ति सम्मान का हकदार
मानवता का मूल सिद्धांत यह है कि प्रत्येक व्यक्ति सम्मान के साथ व्यवहार का हकदार है। कैदियों के साथ अनावश्यक रूप से क्रूर या अपमानजनक व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 21 के तहत उनके बुनियादी मानवाधिकारों को बरकरार रखा जाना चाहिए। कैदियों को पर्याप्त बाहरी गतिविधियों तक पहुंच की अनुमति देना अनिवार्य है, क्योंकि ऐसे प्रविधानों की अनुपस्थिति से तनाव बढ़ सकता है। हिंसा की घटनाएं बढ़ सकती हैं और कैदियों के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।