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छत्तीसगढ़

सूचना का अधिकार: आरटीआई कार्यकर्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

चिरमिरी। आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के द्वारा राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर करने के कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसका निराकरण करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 04 दिसंबर 2023 को आदेश किया है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय इस केस को फिर से सुने और उचित निर्णय करें।

आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के द्वारा दिनांक 02 नवंबर 2016 को सूचना का अधिकार पर एक आवेदन प्रस्तुत कर छत्तीसगढ़ राज्य के राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से जानकारी मांगा था कि अब तक कितने प्रकरणों में तीन महीना से अधिक समय से अधिकारी कर्मचारी और नेताओं के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति लंबित है, उन अधिकारी कर्मचारी नेताओं का नाम, पद नाम बताया जाए। आईटीआई कार्यकर्ता के इस पत्र पर छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के द्वारा एक पत्र दिया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ शासन के एक अधिसूचना दिनांक 02 नवंबर 2006 के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य के राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सूचना के अधिकार पर जानकारी प्रदान करने से मुक्त रखा गया है। इस आधार पर राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने जानकारी देने से मना कर दिया। छत्तीसगढ़ शासन के इस अधिसूचना को राजकुमार मिश्रा के द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस संबंध में माना की याचिकाकर्ता को जनहित याचिका के माध्यम से इस अधिसूचना को चुनौती देनी थी। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि आईटीआई कार्यकर्ता जनहित याचिकाएं फाइल करने के लिए नए व्यक्ति नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता की याचिका को निरस्त कर दी गई। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 22 नवंबर 2018 में छोटे आदेश के साथ याचिका निरस्त किया गया। आरटीआई कार्यकर्ता ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के इस आदेश को सर्वाेच्च न्यायालय में चुनौती दिया।

सर्वाेच्च न्यायालय ने इस विशेष अनुमति याचिका को विधिवत सुनवाई करते हुए 04 दिसंबर 2023 को आदेश पारित किया गया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय इस याचिका को पुनः सुने और उचित आदेश पारित करें। आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के इसी तरह के एक याचिका में सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में सुनवाई की गई है और छत्तीसगढ़ राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो को सूचना के अधिकार से बाहर करने की अधिसूचना में आवश्यक संशोधन करते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 24(4) के अंतर्गत रहते हुए भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना प्रदान करने का निर्देश जारी किया गया था, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा अधिसूचना में आवश्यक संशोधन कर जानकारी प्रदान करने का निर्देश जारी किया गया है। आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा का मानना है कि सूचना के अधिकार के संबंध में उनका यह सफलता है। इसी तरह वह भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ते रहेंगे। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय और सर्वाेच्च न्यायालय में आरटीआई कार्यकर्ता ने स्वयं पैरवी किया है और जीत हासिल किया है।