झारखंड। गिद्धों को बचाने के लिए अनूठी पहल शुरू की गई है। इस पहल के तहत झारखंड के कोडरमा जिले में गिद्ध रेस्तरां की शुरुआत की जा रही है। इस रेस्तरां में गिद्धों को खाना मुहैया कराया जाएगा। तेजी से कम हो रहे गिद्धों को बचाने के लिए यह पहल की गई है। कोडरमा में यह गिद्ध रेस्तरां का निर्माण हो चुका है और जल्द ही इसका संचालन शुरू हो जाएगा। प्रोटोकॉल के तहत इस रेस्तरां में गिद्धों को डाइक्लोफीनेक मुक्त जानवरों के शव मुहैया कराए जाएंगे। डाइक्लोफेनिक मुक्त जानवरों के ये शव नजदीकी गौशाला और नगर पालिका से रेस्तरां में भेजे जाएंगे।
कोडरमा के डिविजनल फोरेस्ट ऑफिसर सूरज कुमार ने बताया कि कोडरमा में तिलैया नगर परिषद में एक हेक्टेयर जमीन पर गिद्धों के लिए यह खास रेस्तरां शुरू किया गया है। इसके शुरू होने के बाद चंदवाड़ा ब्लॉक में भी एक और ऐसा ही रेस्तरां शुरू करने की योजना है।
0 पारिस्थितिकी तंत्र में गिद्धों की अहम भूमिका
उल्लेखनीय है कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में गिद्धों की बहुत अहम भूमिका है। दरअसल जानवरों और पशुओं के शवों को खाकर गिद्ध हमारे पर्यावरण को साफ रखते हैं, लेकिन बीते कुछ सालों में देश में गिद्धों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है और कई जगहों पर यह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं। गिद्धों के पूरी तरह से विलुप्त होने से पारिस्थितिकी तंत्र के गड़बड़ाने की आशंका है, यही वजह है कि गिद्धों के संरक्षण की कोशिशें तेज हो गई हैं।
0 डाइक्लोफीनेक दवा से खत्म हो रहे गिद्ध
दरअसल जानवरों और पशुओं में संक्रमण और बुखार को ठीक करने के लिए डाइक्लोफीनेक दवा दी जाती है। इस दवा को खाने वाले जानवरों की मौत के बाद जब उनके शव गिद्धों द्वारा खाए जाते हैं तो डाइक्लोफीनेक दवा के असर से गिद्धों की किडनी खराब हो जाती है और उनकी मौत हो जाती है। यही वजह है कि कोडरमा में खुले गिद्ध रेस्तरां में बाकायदा यह प्रोटोकॉल बनाया गया है कि वहां भेजे जाने वाले जानवरों के शव डाइक्लोफीनेक मुक्त होने चाहिए। कोडरमा में एक वक्त गिद्ध खत्म होने के कगार पर पहुंच गए थे, लेकिन वन विभाग की कोशिशों से अब धीरे-धीरे जिले में गिद्धों की संख्या बढ़ रही है और अब गिद्ध रेस्तरां के कॉन्सेप्ट से इस संख्या में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।