वाराणसी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या में सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां उच्च स्तरीय अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) और स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के रडार पर वाराणसी सहित पूर्वांचल के 10 जिलों के 115 से ज्यादा लोग हैं। ये सभी वे लोग हैं, जो पहले प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े थे और बाद में उनका झुकाव पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की ओर हो गया। ऐसे लोगों, उनके करीबियों और शरणदाताओं का भौतिक सत्यापन कराया गया है। हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसके दो दिन बाद 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस है। चार दिन बाद गणतंत्र दिवस है। इसके मद्देनजर प्रदेश सरकार शांति और कानून व्यवस्था को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। एटीएस और एसटीएफ के अफसरों से कहा गया है कि वाराणसी सहित पूर्वांचल के 10 जिलों में अतिरिक्त सतर्कता बरतें। जो भी लोग प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े रहे हैं या जिनके नाम पहले दंगे और सांप्रदायिक घटनाओं में सामने आए हैं, उनकी निगरानी की जाए। ऐसे लोगों के शरणदाताओं, जमानतदार या मददगार रहे हैं, उनका सत्यापन कराया जाए।
इसी वजह से गोपनीय तरीके से स्थानीय पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट के स्तर से ऐसे लोगों का सत्यापन कर उनकी मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म की हाई लेवल मॉनिटरिंग की जा रही है। ताकि, कोई किसी भी किस्म की अफवाह न फैलाने पाए।
शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए पुलिस अफसरों को पीस कमेटियों की ज्यादा बैठक करने के निर्देश शासन स्तर से दिए गए हैं। कहा गया है कि पुलिस अफसर समाज के सभी वर्गों के संभ्रांत लोगों के संपर्क में लगातार रहें। उनके सहयोग से माहौल की टोह लेते रहें। रोजाना शाम के समय अलग-अलग इलाकों में पैदल गश्त कर पुलिस अफसर संभ्रांत लोगों की मदद से आमजन के साथ संवाद करें।