धनबाद। बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (बीपीएससी) में बिहार स्टेट में तीसरा रैंक पाने वाली प्रेरणा धनबाद की बेटी हैं। यहीं उनका बचपन बीता है। इस रैंक के आधार पर प्रेरणा को डीएसपी का पद मिलेगा। प्रेरणा का कहना है कि बचपन से ही उनका सपना प्रशासनिक सेवा में जाने का रहा है। इससे पहले उन्होंने दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी लेकिन सफलता उनके हाथ नहीं लगी।
सफलता दिलाने के लिए चार घंटे की पढ़ाई भी बहुत है। इसके लिए स्थिरता के साथ विषय का अध्ययन जरूरी है। सेल्फ स्टडी किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता दिलाने की महत्वपूर्ण सीढ़ी है। यह कहना है कि बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (बीपीएससी) में बिहार स्टेट में तीसरा रैंक पाने वाली प्रेरणा सिंह का। इस रैंक के आधार पर प्रेरणा को डीएसपी का पद मिलेगा।
धनबाद में बीता है प्रेरणा का बचपन
हीरापुर की रहने वाली प्रेरणा सिंह का बचपन यहीं से बीता और डिनोबिली स्कूल सीएमआरआइ से दसवीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। 12वीं में 89 प्रतिशत अंक प्राप्त किया था। इसके बाद वर्धमान यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। प्रेरणा के पिता निरंजन सिंह एवं मां शीला सिंह दोनों ही झारखंड उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं। बहन डाटा साइंटिस्ट हैं।
सेल्फ स्टडी पर रहा ज्यादा फोकस
प्रशासनिक सेवा चुनने के प्रश्न पर प्रेरणा ने बताया कि अब झारखंड-बिहार के लोग आइएएस आइपीएस की तैयारी नहीं करेंगे तो भला कौन करेगा। बचपन से ही उनका सपना प्रशासनिक सेवा में जाने का रहा है। दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी है, लेकिन सफल नहीं हुई। इसके बाद बीपीएससी में उत्तीर्ण रही। 2025 में फिर से यूपीएससी क्लीयर करने का लक्ष्य है। फिलहाल बीपीएससी के माध्यम से डीएसपी पद ज्वाइन करने जा रही हैं। प्रेरणा ने बताया कि सेल्फ स्टडी पर ही अधिक ध्यान केंद्रित किया।
पढ़ाई को कभी घंटों में नहीं बांधा
धनबाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते समय फोकस के अजयवीर सिंह सर से काफी सहायता मिली। उन्होंने भी यूपीएससी के लिए प्रेरित किया। नानी का घर सरायढेला में है।
नाना किरण बेदी कहते थे, आज उनका सपना पूरा हो गया। पढ़ाई को कभी घंटों में नहीं बांधा, लेकिन जितना भी पढ़ा मन लगाकर पढ़ा। यूपीएससी-बीपीएससी त्याग और संघर्ष से ही क्लीयर किया जा सकता है। पढ़ाई के बीच समय निकालकर जिम में कसरत करना पसंद है।