विश्रामपुर- पलामू। विश्रामपुर में स्थित ऐतिहासिक पंचमुखी मंदिर की मूर्तियां 37 सालों से कैद में हैं। इन्हें अब तक कोई मुक्त नहीं करा पाया है। 1986 में मंदिर से मूर्तियां चोरी हुई थीं जिसके बाद विश्रामपुर थाने के मालखाने में इन्हें रखा गया। जबकि विश्रामपुर थाने में इससे संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं है। मंदिर के पूजारी मूर्तियों को मुक्त कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
अयोध्या में भगवान श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश का माहौल भक्तिमय बना हुआ है। 22 जनवरी प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर पूरे देश के मंदिरों में भजन कीर्तन व भंडारे का आयोजन किया जाएगा। आखिर जश्न हो भी क्यों न, 500 वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण का फैसला जो सुनाया। श्रीराम मंदिर हिंदुओं की आन-बान और शान है। वहीं, पलामू जिला के विश्रामपुर थाने में 37 वर्षों से भगवान की मूर्तियां कैद है। इसे मुक्त करने के लिए कोई तो आगे आए। प्रखंडवासियों को किसी रहनुमा की जरूरत है, जो आगे बढ़कर थाने के मालखाने में कैद भगवान की रिहाई कराने को आगे आए। मूर्तियां एक बार फिर विश्रामपुर की ऐतिहासिक पंचमुखी मंदिर में भक्ति भाव के साथ स्थापित होंगी। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि की तरह यहां भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन हो।
मूर्ति चोरी के आरोपितों की मौत
मूर्ति चोरी के आरोपितों की हो चुकी है मौत पंचमुखी मंदिर में स्थापित मूर्तियों की चोरी में थाना क्षेत्र के घासीदाग गांव निवासी मुनी भुइयां का नाम आया था। आरोप था कि पलामू जिले के ही किसी बड़े व्यवसायी के इशारे पर अपने दो साथियों के साथ मिलकर मूर्तियों की चोरी की थी। घटना में शामिल सभी आरोपितों की मौत हो चुकी है। लोगों का कहना है कि भगवान की मूर्ति चोरी होने के कई दिनों बाद मुनी भुइयां व उसके दोनों साथियों की मौत से हो गई थी। असामयिक मौत को उनके स्वजनो ने भगवान का श्राप समझा और भयभीत होकर चोरी की गई भगवान की तीनों मूर्तियों को विश्रामपुर पुलिस के हवाले कर दिया था।
37 सालों से लड़ रहा हूं कोर्ट की लड़ाई- पुजारी
विश्रामपुर थाने में इससे संबंधित नहीं है कोई भी रिकार्ड विश्रामपुर थाने में ऐतिहासिक पंचमुखी मंदिर की चोरी गई मूर्तियां बरामदगी के बाद मालखाने में रखी गई है। मूर्तियों की चोरी या इससे संबंधित कोई भी रिकॉर्ड थाने में नहीं है। जिससे समुचित जानकारी प्राप्त की जा सके। कई लोग सार्थक प्रयास करते रहें हैं, लेकिन रिकार्ड्स का न होना बाधक बन रहा है। मूर्तियों को मुक्त कराने को लेकर संघर्षरत पुजारी पंडित
अच्युतानंद पांडेय बताते हैं कि उन्हें 37 साल से न्यायालय में यह प्रमाणित करना पड़ रहा है कि वे इस मंदिर के खानदानी पुजारी हैं।
भगवान की तीनों मूर्तियां पंचमुखी मंदिर की ही हैं। वह कई बार साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत कर चुके हैं। मामला काफी पुराना होने के कारण अभिलेख मिलने में कठिनाई हो रही है। इन कारणों से मूर्तियों को मुक्त नहीं कराया जा सका है।
पुजारी की अस्वस्थता के कारण पुजारी पुत्र राजन पांडेय पलामू के तत्कालीन डीआइजी विपुल शुक्ला व पलामू के तत्कालीन एसपी इंद्रजित महथा से मिलकर मूर्तियों की मुक्ति की मांग की थी। कई बार थाने में बैठक भी की गई। राज परिवार के सदस्य सह विश्रामपुर नपं के पूर्व उपाध्यक्ष अजय बक्सराय उर्फ बढ़कू सिंह ने भी प्रयास किया है।
पंचमुखी मंदिर से दो बार हुई थीं मूर्तियों की चोरी
विश्रामपुर की ऐतिहासिक पंचमुखी मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्तियां दो बार चोरी हुईं हैं। सभी प्रतिमाएं दुर्लभ व बेशकीमती अष्टधातु से निर्मित हैं। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कुबेर देव की मूर्ति 27 नवंबर, 1986 को चोरी की गई थी। ठीक तीन वर्षों बाद 30 सितंबर, 1989 को दूसरी बार गर्भगृह के मुख्य दरवाजे के पास स्थापित राम दरबार के दो द्वारपाल जय व विजय की मूर्तियां चोरी हुईं। कई दिनों बाद चोर पकड़े गए। मूर्तियां भी बरामद कर ली गईं।