फूलनदेवी ने 26 लोगों को लाइन से खड़ाकर मारी थी गोली
कानपुर देहात। कानपुर देहात के बहुचर्चित बेहमई हत्याकांड में 43 साल बाद फैसला आया है। बुधवार को एंटी डकैती कोर्ट ने आरोपी श्याम बाबू (80) को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं एक आरोपी विश्वनाथ (55) को बरी कर दिया है। खास बात है कि 14 फरवरी 1981 को यह कांड हुआ था और 14 फरवरी 2024 को ठीक 43 साल बाद फैसला आया।
14 फरवरी 1981 को दोपहर के दो से ढाई बजे का समय था। फूलनदेवी और उसके साथ डकैत मुस्तकीम, रामप्रकाश और लल्लू गैंग के तकरीबन 35-36 लोगों ने बेहमई गांव को घेर लिया था। घरों में लूटपाट शुरू कर दी। मर्दों को घर से बाहर खींचकर लाया गया। सभी गांव में एक टीले के पास 26 लोगों को इकट्ठा किया गया।
इसके बाद फूलनदेवी और उसके साथियों ने 26 लोगों को लाइन में खड़ा किया। फिर इन लोगों पर ताबड़तोड़ 4 से 5 मिनट तक गोलियां बरसाईं। जिसमें से 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 6 लोग घायल हो गए। इसके बाद फूलनदेवी और उसके साथ आए डकैत गांव से निकल गए। इसके बाद गांव के ठाकुर राजाराम ने घटना की पुलिस को सूचना दी। 3 से 4 घंटे बाद पुलिस अधिकारी जब वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गांव से सिर्फ औरतों और बच्चों की रोने की दूर-दूर तक आवाजें आ रही थीं। गांव के ऊपर कौए मंडरा रहे थे। ठाकुर राजाराम ने तब फूलनदेवी, मुस्तकीम, राम प्रकाश और लल्लू समेत 36 डकैतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस अलर्ट हुई। जगह-जगह फूलनदेवी की तलाश की। मगर फूलनदेवी को पकड़ नहीं पाई।