बोला- बयान लेने के लिए ऐसा करना जरूरी
कमालपुर। त्रिपुरा हाई कोर्ट ने रेप पीड़िता से छेड़छाड़ के आरोपी मजिस्ट्रेट बिश्वतोष धर को हटा दिया है। स्टेट लॉ डिपार्टमेंट ने बुधवार (21 फरवरी) को बताया कि हाई कोर्ट ने बिश्वतोष धर को ‘क्लोज’ किया है। कानूनी शब्दों में, ‘क्लोजिंग’ का मतलब किसी अधिकारी को बिना किसी असाइनमेंट के अलग स्थान पर रखना होता है। धर को बिना इजाजत जिले से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
बिश्वतोष धर धलाई जिले के कमालपुर के फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हैं। एक हफ्ते पहले 16 फरवरी को 23 साल की एक महिला अपने पति के साथ रेप के खिलाफ बयान दर्ज कराने मजिस्ट्रेट के चैंबर में गई थी। महिला के साथ 13 फरवरी को उसके घर पर 26 साल के एक शख्स ने रेप किया था।
पीड़िता के पति के मुताबिक, बयान लेने के दौरान जज ने उसकी पत्नी के शरीर को गलत ढंग से छूना शुरू कर दिया। मजिस्ट्रेट ने महिला से कहा कि रेप के मामलों में बयान दर्ज करते समय जजों को इस तरह से व्यवहार करना पड़ता है। यह सुनकर महिला रोने लगी। इसके बाद जज ने उसे वहां से जाकर बाहर बैठने को कहा। कमालपुर पुलिस ने 16 फरवरी को मजिस्ट्रेट के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
महिला ने जज पर धमकी देने का भी आरोप लगाया
कमालपुर पुलिस स्टेशन ने आरोपों के आधार पर 16 फरवरी को मामला दर्ज किया था। महिलाओं ने पुलिस को बताया कि धर ने उन्हें धमकी भी दी कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो मामला उनके खिलाफ चला जाएगा। जज की बात सुनकर वह कुछ ही मिनटों में बिना कोई बयान दिए चैंबर से बाहर आ गई।
बार एसोसिएशन में भी दर्ज हुई शिकायत
महिला ने अपने साथ हुई घटना के बारे में पति के अलावा मजिस्ट्रेट कोर्ट के बाहर मौजूद वकीलों को भी जानकारी दी। मजिस्ट्रेट के चैंबर में पीड़ित के साथ एक महिला कांस्टेबल भी गई थी, लेकिन आरोपी जज ने उसे महिला के साथ नहीं रहने दिया। इसके बाद उसके पति ने भी घटना को लेकर कमालपुर बार एसोसिएशन में एक अलग शिकायत दर्ज कराई।
एक सीनियर एडवोकेट ने 18 फरवरी को बताया था कि धलाई डिस्ट्रिक्ट-सेशन जज गौतम सरकार की अध्यक्षता में तीन जजों के पैनल ने जज पर लगे आरोपों की जांच शुरू कर दी है।
एडवोकेट बॉडी के शिबेंद्र दासगुप्ता ने कहा- जांच पैनल ने कोर्ट कैंपस में कमालपुर बार एसोसिएशन के सदस्यों से भी मुलाकात की और महिला के आरोपों पर हमारी राय मांगी। हमने पैनल को सारी जानकारी दी है।