अगर आप भी खराब लाइफस्टाइल के शिकार हैं तो सावधान हो जाइए, नहीं तो ये खराब लाइफ स्टाइल भारी पड़ सकता है। आजकल के खराब लाइफस्टाइल ने सेहत से जुड़ी कई तरह की दिक्कतों को पैदा किया है।
बिजी शेड्यूल में लोग अक्सर पिज्जा-बर्गर और बिस्किट-नमकीन, चिप्स खाकर पेट भरने की सोचते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं, तो अलर्ट हो जाएं। यहां हम आपको इन अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स के हैरान कर देने वाले जोखिम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद शायद आप भी इन्हें खाने से पहले 10 बार सोचेंगे।
दरअसल, एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि इन अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन से एक-दो नहीं, बल्कि दो दर्जन से अधिक तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स झेलनी पड़ सकती हैं। इनमें दिल से जुड़ी बीमारी और टाइप-2 डायबिटीज से लेकर कैंसर भी शामिल है। आइए जानते हैं कि क्या होते हैं प्रोसेस्ड फूड्स और क्या कहती है इससे जुड़ी स्टडी।
0 अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स क्या होते हैं ?
अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स को कॉस्मेटिक फूड्स भी कहा जाता है। सीधे शब्दों में समझें, तो इनका मेकिंग प्रोसेस ऐसा होता है, जिससे इनमें शामिल नेचुरल तत्व आर्टिफिशियल तत्वों में बदल जाते हैं। ऐसे में इनके सेवन से प्रोटीन की तुलना में सिर्फ कैलोरी और शुगर ही मिलती हैं।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स (UPF) का सेहत पर पड़ने वाले 32 साइड इफेक्ट्स से सीधा संबंध होता है। यही नहीं इन्हें खाने से हार्ट डिजीज से मौत का खतरा करीबन 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इसके अलावा चिंता और मेंटल हेल्थ से जुड़ी प्रॉब्लम्स 48 प्रतिशत से 53 प्रतिशत और डायबिटीज होने का रिस्क 12 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
0 डायबिटीज और नींद से जुड़ी समस्याओं का भी खतरा
शोधकर्ताओं के अनुसार अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स के अस्थमा और पेट से जुड़ी परेशानियों का कनेक्शन भी सामने आया है। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड्स से भी मौत का जोखिम 21 प्रतिशत तक बढ़ने की बात सामने आई है। यही नहीं, डाइट में प्रोसेस्ड फूड्स पर बढ़ती निर्भरता से टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा और नींद से जुड़ी प्रॉब्लम्स में 40 से 66 प्रतिशत तक का इजाफा देखने को मिला है, वहीं इससे डिप्रेशन का रिस्क भी 22 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
0 अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स में क्या चीजें शामिल होती हैं?
इस तरह के खानपान में पैक्ड बेक्ड स्नैक्स, कार्बोनेटिड ड्रिंक्स, खाने में यूज होने वाली पहले से तैयार चीजें शामिल होती हैं। इनके मेकिंग प्रोसेस में रंग, इमल्सीफायर, स्वाद और कई कैमिकल्स मिलाए जाते हैं। ऐसे में इस तरह की चीजों में फैट, शुगर और नमक की मात्रा ज्यादा होती है, वहीं फाइबर और विटामिन्स कम देखने को मिलते हैं।
वहीं लैंसेट पब्लिक हेल्थ ने सुझाव दिया है कि अगर सभी रेस्तरां और फास्ट फूड आउटलेट्स अपने मैन्यू में कैलोरी का ब्योरा भी देने लगें, तो इससे आने वाले दो दशको में 9 हजार से ज्यादा दिल से जुड़ी बीमारी से होने वाली मौत पर काबू पाया जा सकता है।
डिस्क्लेमर : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। Today Studio लेख की पुष्टि नहीं करता है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लें।