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जिस बेटी की हत्या के आरोप में पिता को हुई जेल, वह हो गई जिंदा, पुलिस के पैरों तले खिसकी जमीन

अमरोहा। बेटी की हत्या के झूठे आरोप में 15 महीना तक जेल की सलाखों के पीछे रहे पिता-भाई व रिश्तेदार को मुआवजा मिलेगा। हाईकोर्ट ने पीड़ित की याचिका पर डीएम अमरोहा को इस मामले का निस्तारण करने का आदेश दिया है। रांची हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए उसके आधार पर मुआवजा देने का आदेश भी दिया है।

तत्कालीन जिला जज सुरेंद्र सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मार्च 2021 में जेल में बंद तीनों लोगों को रिहा करने का आदेश जारी किया था। साथ ही घटना का झूठा खुलासा करने वाले पुलिस कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश जारी किया था। तत्कालीन एसपी डा. विपिन ताडा ने आरोपित पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था।

यह चर्चित मामला आदमपुर थाना क्षेत्र के एक गांव का है। लापता बेटी की हत्या के आरोप में थाना पुलिस पिता, भाई व एक रिश्तेदार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जबकि उसका शव बरामद नहीं हुआ था। मार्च 2021 में यह मामला उस समय चर्चा में आ गया था, जब लापता किशोरी जिंदा मिली थी।

कार्रवाई होने के बाद पुलिस कर्मियों ने हाईकोर्ट की शरण भी ली थी। जिसमें तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अशोक शर्मा को राहत नहीं मिली है। शेष पुलिस कर्मी बहाल हो चुके हैं। उधर, जेल से छूटने के बाद युवती के पीड़ित पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने बेकसूर होने के बाद भी जेल में बिताए गए समय का मुआवजा मांगा था।

पीड़ित के अधिवक्ता रजनीश शर्मा ने बताया कि 20 जनवरी 2024 को दाखिल की गई याचिका में हाईकोर्ट में न्यायाधीश महेश चंद्र त्रिपाठी व गजेंद्र कुमार की पीठ ने 18 मार्च को सुनवाई की थी। जिसमें उन्होंने इसी प्रकार के रांची हाईकोर्ट (झारखंड) के एक मुकदमे की नजीर पेश की है। उसके आधार पर पीठ ने जिलाधिकारी अमरोहा को आदेश दिया है कि वह अपने विवेक से पीड़ितों को मुआवजा देकर मामले का निस्तारण करें।

यह था मामला

आदमपुर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी किसान की बेटी 6 फरवरी 2019 को गायब हो गई थी। मामले की विवेचना करते हुए तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अशोक शर्मा ने 28 दिसंबर 2019 को पिता, भाई तथा दिव्यांग रिश्तेदार निवासी थाना गजरौला को हत्या के आरोप में जेल भेज दिया था। परंतु सात अगस्त 20 को गायब युवती नजदीक के गांव पौरारा में प्रेमी के घर से जीवित बरामद हो गई थी। दरअसल वह प्रेमी के साथ लापता हो गई थी तथा उसने गाजियाबाद में जाकर शादी भी कर ली थी। इस दौरान दोनों के परिवार में बेटे ने भी जन्म ले लिया था। स्वजन के जेल से छूटने के बाद युवती अपने पति के घर रह रही है।

इन 11 पुलिस कर्मियों पर हुआ था मुकदमा

जीवित बेटी की हत्या के जुर्म में बुजुर्ग पिता, भाई व दिव्यांग रिश्तेदार को जेल भेजने के मामले में प्रभारी निरीक्षक समेत 11 पुलिस कर्मियों पर न्यायालय के आदेश पर मुकदमा हुआ था। इनमें अशोक शर्मा प्रभारी निरीक्षक, दारोगा मुहम्मद आरिफ, राकेश कुमार, मनोज कुमार, विनोद त्यागी, भूपेंद्र आरक्षी चालक, कृष्णवीर, अनिरूद्ध, दीपक कुमार तथा अपेक्षा तोमर व निधि महिला आरक्षी को दोषी मानते हुए 23 दिसंबर 2021 को थाना आदमपुर में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।