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इंस्टाग्राम पर बनाई फर्जी आईडी फिर इस तरह से लोगों को बनाते थे शिकार, पुलिस ने किया पर्दाफाश

फरीदाबाद। इंस्टाग्राम पर फर्जी आईडी बनाकर पैसे ऐंठने वाले दो आरोपितों को साइबर एनआइटी थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दोनों से पूछताछ की जा रही है। साइबर थाना प्रभारी अमित कुमार ने बताया कि उनकी टीम को सूचना मिली थी कि जीवन नगर पार्ट एक में रहने वाला विशाल इंस्टाग्राम पर लोगों की फर्जी आईडी बनाकर पैसे ऐंठता है। उन्होंने एक नंबर से 5 लोगों को अपना शिकार बनाया।

पुलिस ने जब आरोपियों को पकड़ा तब उन्होंने सारी सच्चाई बताई। पुलिस ने जब पोर्टल चेक किया तब मामले का पर्दाफाश हो गया। उसका मोबाइल नंबर भी पता लग गया था। इसके बाद पुलिस ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर इस नंबर को डाला। पता लगा कि इस नंबर से पांच लोगों के साथ ठगी की गई है। सभी शिकायतें 10 जून की थी। हालांकि इसमें फरीदाबाद की एक भी नहीं थी, लेकिन प्रदेश के अन्य जिले व दिल्ली की शिकायतें शामिल थी। पुलिस ने आरोपित को पकड़ने की योजना बनाई।

आरोपित तक पहुंचने के लिए उसके मोबाइल फोन की लोकेशन ट्रैस की गई। उसकी लोकेशन जीवन नगर पार्ट एक नजदीक कृष्णा फार्म के पास आई। पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंच गई। मौके पर मुखबिर के इशारे के बाद दो आरोपितों को शक के आधार पर हिरासत में लिया गया।

मदद के नाम पर करते थे फर्जी मैसेज

एक ने अपना नाम विशाल तो दूसरे ने शैकुल बताया। शैकुल उटावड़, नंगला का रहने वाला था। वह विशाल की बुआ का लड़का है। आरोपितों ने पुलिस को बताया कि वह इंस्ट्राग्राम आईडी पर किसी के प्रोफाइल फोटो को लेकर उसके नाम से फर्जी आईडी बना देते हैं। उस शख्स के संपर्क में जो लोग होते हैं, उन्हें मदद के नाम पर पैसे भेजने का मैसेज भेजते हैं।

आईडी पर फोटो व नाम देखकर उसके जानकार समझते ही हैं वास्तव में उसे ही पैसों की जरूरत होगी। इस तरह आरोपितों ने अलग-अलग कई लोगों की फर्जी आईडी बना रखी हैं। इन सभी से पैसे ट्रांसफर कराएं हैं। आरोपितों के पास जो मोबाइल नंबर था, वह धोखाधड़ी की रकम इसी पर यूपीआई के माध्यम से लेते थे।

सिम व खाते व नगद पैसे लाने में विशाल के मामा का लड़का शैकुल खान मदद करता था। आरोपितों से दो मोबाइल फोन व सिम बरामद हुई हैं। मामले के जांच अधिकारी सत्यबीर ने बताया कि आरोपितों से पूछताछ की जा रही है। उन्होंने कितने लोगों से और कितने रुपये की ठगी की है। अनुमान है कि उनके साथ उनकी और भी साथी हैं। इन सभी को पकड़ने के बाद पूरा मामला सामने आएगा।

पोर्टल से मिल रही मदद

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल साइबर पुलिस के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। पुलिस ने इस पोर्टल के माध्यम से कई मामले पकड़े हैं। दरअसल इस पोर्टल पर कोई भी मोबाइल नंबर डालेंगे तो पता लग जाएगा कि यह नंबर कहां-कहां प्रयोग किया गया है। क्योंकि जिस भी व्यक्ति के साथ ठगी होता है, वह शिकायत में उस नंबर को भी अंकित करता है।

यही नंबर इस पोर्टल पर डाल दिया जाता है। इससे यह पता लग जाता है कि इस नंबर से कितने लोगों के साथ ठगी की जा चुकी है। पुलिस यह भी पता कर लेती है कि यह नंबर एक्टिव है या नहीं और कहां किस जगह चल रहा है।