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इस एक्टर ने अंग्रेजों के लिए बतौर कुक किया था काम, फ्लॉप फिल्मों से शुरू किया करियर, फिर बना बॉलीवुड का सुपरस्टार

आज हम आपको उस सुपरस्टार के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने फिल्मों में आने से पहले अंग्रेजों के लिए बतौर कुक काम किया था। जब एक्टिंग की दुनिया में उनकी एंट्री हुई, तो पहली फिल्म पिट गई। इसके बाद उन्होंने अपनी कला के दम पर ऐसी पहचान बनाई कि 50 सालों तक बॉलीवुड पर राज किया।

करीब 80 साल पहले इस एक्टर ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में एंट्री मारी थी।  दिलचस्प बात ये है कि वह फिल्मों में आने से पहले अंग्रेजों के लिए कैंटीन में कुकिंग का काम करते थे, लेकिन जैसे ही उन्हें एक्टिंग का चस्का लगा, तो देखते ही देखते  सुपरस्टार बन गए। जी हां हम बात कर रहे हैं स्व. दिलीप कुमार की।

दिलीप कुमार का जन्म ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के शहर पेशावर में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। फिल्मों मे आने से पहले वह ब्रिटिश आर्मी कैंटीन में सैंडविच बनाने का काम करते थे। उन्होंने साल 1944 में रिलीज हुई फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से बॉलीवुड में कदम रखा था। वैसे उनका असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था, लेकिन उन्होंने डेब्यू फिल्म के लिए अपना नाम बदलकर दिलीप कुमार रख लिया था। बताया जाता है कि देविका रानी ने उन्हें नाम बदलने की सलाह दी थी।

देविका रानी ने ही दिलीप कुमार को बॉलीवुड में एंट्री दिलवाई थी और उनकी पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ को प्रोड्यूस भी किया था। हालांकि दिलीप कुमार की ‘ज्वार भाटा’ समेत तीन फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बैक-टू-बैक पिट गई थीं। इसके बाद उन्होंने ‘जुगनू’, ‘शहीद’, ‘अंदाज’ और ‘बरसात’ जैसी फिल्मों में काम किया। इन मूवीज के बाद उन्होंने अपनी जबरदस्त पहचान बनाई।

1950 का दशक दिलीप कुमार के लिए सफल और शानदार साबित हुआ। उन्होंने ‘जोगन’, ‘बाबुल’, ‘दीदार’, ‘तराना’, ‘दाग’, ‘आन’, ‘उड़न खटोला’, ‘इंसानियत’, ‘देवदास’, ‘नया दौर’, ‘यहूदी’, ‘मधुमति’ और ‘पैगाम’ जैसी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस हिट साबित हुईं।  इसके बाद वह ट्रेजडी किंग के नाम से फेमस हो गए थे।  दिलीप कुमार ने 50 सालों से अधिक समय तक बॉलीवुड पर राज किया था।

0 पद्म भूषण और पद्म विभूषण से किए गए सम्मानित 

फिल्मों में शानदार योगदान देने के लिए भारत सरकार ने दिलीप कुमार को साल 1991 में पद्म भूषण और फिर साल 2015 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। साल 1994 में दिलीप कुमार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजे गए। पाकिस्तान सरकार ने साल 1998 में दिलीप कुमार को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिलीप कुमार की 80 फीसदी से ज्यादा फिल्में बॉक्स ऑफिस सफल साबित हुई थीं। 7 जुलाई, 2021 को 98 साल की उम्र में दिलीप कुमार का निधन हो गया था। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे।