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27 साल बाद फैसला : 14 लोगों को उम्रकैद, 11 हुए रिहा, जानें पूरा मामला

बिहार/ मधुबनी। मधुबनी जिले के भैरव स्थान थाना क्षेत्र के झौऊआ गांव में भूमि विवाद के कारण पांच अगस्त 1997 को हुई हत्या के मामले में 27 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुना दिया। मधुबनी व्यवहार न्यायालय की जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनामिका टी की अदालत ने 14 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि 11 आरोपियों को संदेह का लाभ देकर रिहा कर दिया गया।

जानकारी के मुताबिक झौऊआ गांव में योगेंद्र यादव और नागेश्वर यादव के बीच भूमि विवाद चल रहा था। पांच अगस्त 1997 को योगेंद्र यादव की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी, जबकि नागेश्वर यादव गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घटना के बाद छह अगस्त 1997 को भैरव स्थान थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें 32 नामजद अभियुक्तों सहित छह अप्राथमिक अभियुक्तों को शामिल किया गया था। पुलिस ने जांच के बाद 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जबकि न्यायालय ने 37 अभियुक्तों के खिलाफ संज्ञान लिया।

मुकदमे की प्रक्रिया और गवाहों के बयान- मामले की सुनवाई के दौरान 12 अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी थी, जिसके बाद 25 अभियुक्तों पर मुकदमा चला। अभियोजन पक्ष ने 12 गवाहों के बयान दर्ज कराए। बचाव पक्ष ने छह गवाहों को अदालत में पेश किया। 15 जनवरी 2025 को 14 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया, जबकि 11 को संदेह का लाभ मिला। आज 28 फरवरी 2025 को अदालत ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

उम्रकैद की सजा पाने वाले आरोपी

  1. कमल यादव (IPC धारा 302 के तहत)
  2. चंदन यादव
  3. जमुना यादव
  4. महेश यादव
  5. सुरेश यादव
  6. रघुनि यादव
  7. बिंदेश्वर यादव
  8. ललित यादव
  9. उत्तिम यादव
  10. प्रमोद यादव
  11. सूरत यादव
  12. भगवान यादव
  13. कारी यादव
  14. कुशे यादव (IPC धारा 302/149 के तहत)

सरकार हाईकोर्ट में करेगी अपील- लोक अभियोजक मनोज तिवारी ने मीडिया को बताया कि जो 11 आरोपी संदेह के लाभ के आधार पर रिहा किए गए हैं, उनके खिलाफ सरकार उच्च न्यायालय में अपील करेगी। फैसले के दिन मधुबनी न्यायालय परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। अभियुक्तों को सुरक्षा घेरे में जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनामिका टी की अदालत में पेश किया गया।

सरकार की ओर से लोक अभियोजक मनोज तिवारी और अपर लोक अभियोजक अजीत कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा। हालांकि इस मामले में विशेष लोक अभियोजक दिवंगत कमल नारायण यादव भी सरकार की ओर से पक्ष रख चुके हैं। वहीं, बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दीनानाथ यादव और सूरत कुमार मिश्रा ने दलीलें दीं।

27 साल बाद दोषियों को सजा- इस फैसले से मृतक के परिजनों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। 27 साल बाद अदालत ने दोषियों को सजा सुनाकर पीड़ित परिवार को राहत दी। हालांकि सरकार अब हाईकोर्ट में अपील कर बच निकले आरोपियों को भी सजा दिलाने का प्रयास करेगी।

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