पटना। बिहार के पटना में दुष्कर्म के आरोपी की मदद करना एक दारोगा को इस कदर भारी पड़ा कि उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। दारोगा पर आरोप है कि उसने मामले को एक साल तक दबाए रखा। जिस कारण दोषी को अदालत से जमानत मिल गई। पीड़िता और आरोपी की फेसबुक पर दोस्ती हुई थी।
दुष्कर्म को आपसी रजामंदी से संबंध बनाने की बात केस डायरी में लिखकर पूरे मामले को दबाने के आरोप में राजीव नगर थाने के दारोगा शंभू शंकर को एसएसपी राजीव मिश्रा ने निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू हो गई है। कानून-व्यवस्था डीएसपी नुरूल हक की जांच रिपोर्ट पर यह कार्रवाई की गई। एसएसपी ने कहा कि दुष्कर्म कांड की जांच में दारोगा की भूमिका संदिग्ध मिली है।
डेटिंग एप पर शुरू हुई थी बातचीत
जनवरी 2022 में राजीव नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली एक नवविवाहिता ने उत्तरप्रदेश के झांसी निवासी अरविंद निगम अरविंद पर ब्लैकमेल कर दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौनाचार करने का मामला दर्ज कराया था। पीड़िता की मां का 2021 में निधन हो गया। उसके पिता कार्यालय में काम करने चले जाते थे। वह घर पर अकेली रहती थी। इसी बीच उसने फेसबुक पर डेटिंग एप बिंगो पर अरविंद निगम अरविंद से चौटिंग शुरू कर दी। दोनों वीडियो कॉल पर निजी संबंधों की बातें भी किया करते थे। आरोपित ने इसी का स्क्रीन रिकार्ड कर लिया। जब युवती की शादी हो गई, तब उसने वह वीडियो इंटरनेट पर डालने की धमकी दी और उसे ब्लैकमेल कर कई बार विभिन्न होटलों में ले जाकर गलत काम किया। परेशान होकर युवती ने ये बातें पति को बताई और राजीव नगर थाने में केस दर्ज कराया।
इस कांड का जांचकर्ता दारोगा शंभू शंकर को बनाया गया था। युवती ने पति के सामने कोर्ट में आपबीती भी सुनाई थी। डीएसपी ने मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया था। दारोगा आरोपी को गिरफ्तार करने झांसी गया था, परंतु कार्रवाई नहीं की। उल्टा आरोपित के दो मित्रों के बयान केस डायरी में लिख दिया, जिससे पूरा मामला ही पलट गया।
मामले को एक साल तक दबाए रखा
उसने केस डायरी में युवती को आरोपी की प्रेमिका बताया और कहा कि दोनों के बीच मर्जी से संबंध बने थे। इसी को आधार बनाकर अभियुक्त ने कोर्ट से जमानत भी ले ली थी। दारोगा ने पूरे मामले को एक साल तक दबाए रखा था।
इधर, लंबित मामलों का निष्पादन कराने का आदेश प्राप्त होने के बाद वह केस डायरी लेकर डीएसपी के कार्यालय में आया था। उसने अनुरोध किया था कि इस मामले को निष्पादित कर दिया जाए।
डीएसपी ने जब युवती का बयान और दारोगा की टिप्पणी पढ़ी, तो उन्हें संदेह हुआ। उन्होंने केस डायरी का अवलोकन किया तो समझ आ गया कि दारोगा ने आरोपी को लाभ पहुंचाने के लिए पूरे मामले को ही बदल डाला। तब डीएसपी ने पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तैयार कर वरिष्ठ अधिकारी को सौंपी, जिसके आधार पर दारोगा के खिलाफ कार्रवाई की गई।