मुजफ्फरपुर। सुनीता किडनी कांड में दोषी डा. पवन कुमार को सात साल कठोर कारावास की सजा दी गई है। साथ ही 18 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। पीड़ित के परिवार ने फांसी की मांग उठाई है।
मामले के सत्र विचारण के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नवम अजय कुमार मल्ल के विशेष कोर्ट (एससी/एसटी एक्ट) ने बुधवार को उसे यह सजा सुनाई। वह 16 नवंबर, 2022 से जेल में बंद है। विशेष लोक अभियोजक (एससी/एसटी एक्ट) जयमंगल प्रसाद ने बताया कि डा. पवन कुमार को विशेष कोर्ट सात जून को ही दोषी करार कर चुका था। बुधवार को उसकी सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई। इसके बाद विशेष कोर्ट ने सजा सुनाई। बताया कि इस मामले का मुख्य आरोपित डा. आरके सिंह अब तक फरार है। कोर्ट के आदेश पर पुलिस उसकी संपत्ति कुर्क कर चुकी है। उसके विरुद्ध विशेष कोर्ट में अलग से सत्र विचारण चल रहा है।
गर्भाशय के आपरेशन के दौरान निकाली किडनी
पेट में दर्द होने पर सुनीता को 11 जुलाई, 2022 को सकरा थाने के बरियारपुर चौक स्थित डा.पवन कुमार के शुभकांत क्लीनिक में लाया गया। उसे गर्भाशय का आपरेशन कराने की चिकित्सीय सलाह दी गई। इसके लिए उससे 20 हजार रुपये जमा कराए गए। तीन सितंबर 2022 को उसके गर्भाशय का आपरेशन किया गया। आरोप लगाया गया कि यह आपरेशन डा. आरके सिंह ने किया।
पांच सितंबर को उसकी तबीयत खराब होने पर श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में लाया गया। अल्ट्रासाउंड जांच के बाद सात सितंबर को उसकी दोनों किडनियां निकाले जाने का मामला सामने आया। इसके बाद उसकी मां ने सकरा थाने में प्राथमिकी कराई थी।
तबीयत खराब होने से गवाही भी नहीं दे पाई सुनीता
गर्भाशय के आपरेशन के बाद अस्वस्थ हुईं सुनीता का पटना के आइजीआइएमएस सहित कई अस्पतालों में उपचार कराया गया। लंबे समय से वह श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में भर्ती हैं। उसका नियमित डायलिसिस कराया जाता है। इस बीच सत्र-विचारण के दौरान विशेष कोर्ट ने उन्हें गवाही देने के लिए दो बार बुलाया। वह दो दिन अस्पताल से कोर्ट भी पहुंचीं, लेकिन तबीयत बिगड़ने से अपनी गवाही दर्ज नहीं करा सकीं। विशेष कोर्ट ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से गवाही दर्ज कराने के लिए एसकेएमसीएच के अधीक्षक को निर्देश दिया था।
अस्वस्थता के कारण वह इसके लायक भी नहीं थीं। इसलिए उनकी गवाही दर्ज नहीं हो सकी। सुनीता ने कहा, दोषी को फांसी मिलनी चाहिए। विशेष कोर्ट के फैसले पर सुनीता ने कहा है कि वह संतुष्ट नहीं है। हालांकि उसे भगवान व कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उसे किडनी के बदले किडनी मिले। वह जानती है कि उसकी मौत निश्चित है। उसने स्वस्थ होने के लिए आपरेशन कराया था। इस आपरेशन से उसकी जिंदगी व परिवार बर्बाद हो गया। उसकी जिंदगी में ही उसका बच्चा अनाथ हो गया। श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में चल रहे उपचार से वह पूरी तरह संतुष्ट हैं। यहां के चिकित्सकों के बदौलत ही वह अब तक जीवित हैं।
भारतीय दंड विधान की इन धाराओं में पवन को मिली सजा
विशेष कोर्ट ने भारतीय दंड विधान संहिता की चार धाराओं में डा.पवन कुमार को दोषी पाते हुए सजा सुनाई है। इसमें धारा-307 (जानलेवा हमला करना) में सात साल कारावास। धारा- 384 (संपत्ति को नुकसान पहुंचाना) एक साल कारावास व तीन हजार रुपये जुर्माना। धारा-420 (धोखाधड़ी करना) में तीन साल कारावास व पांच हजार रुपये जुर्माना। धारा-326 (गंभीर चोट पहुंचाना) में सात साल कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना। जुर्माना को छोड़कर कारावास की सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।