पटना। बिहार के विभिन्न बैंकों में 2600 करोड़ से अधिक राशि पड़ी हुई है। इन खातों में पिछले कई वर्षों से कोई लेन-देन नहीं हुआ। फिलहाल ऐसे खाताधारकों की पहचान हो रही है, ताकि उनकी राशि वापस की जा सके। इस वर्ष 31 मार्च तक उन खाताधारकों की तलाश होगी, अन्यथा नए वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में ही वह राशि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शिक्षा और जागरूकता कोष में हस्तांतरित कर दी जाएगी।
बैंकों में धोखाधड़ी की आशंका को कम करने के लिए निष्क्रिय खातों में पड़ी राशि को खाताधारक या उनके नॉमिनी तक पहुंचाने की पहल हो रही है। पहली अप्रैल से राशि हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उससे पहले खाताधारक या नॉमिनी की पहचान नहीं होने पर वे खाते लावारिस माने जाएंगे और उस उसमें जमा राशि का पहला हकदार रिजर्व बैंक होगा और अंतिम हकदार सरकार होगी।
रिजर्व बैंक का उपरोक्त निर्देश सभी बैंकों को मिल चुका है। बैंकों में धोखाधड़ी की आशंका को कम करने के लिए निष्क्रिय खातों में पड़ी राशि को खाताधारक या उनके नॉमिनी तक पहुंचाने की पहल हो रही है। पहली अप्रैल से राशि हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
अगर नहीं हुई खाताधारक या नॉमिनी की पहचान तो…
उससे पहले खाताधारक या नॉमिनी की पहचान नहीं होने पर वे खाते लावारिस माने जाएंगे और उस उसमें जमा राशि का पहला हकदार रिजर्व बैंक होगा और अंतिम हकदार सरकार होगी। इसमें 275 करोड़ रुपये राज्य सरकार के विभिन्न खातों में पड़े हुए हैं। वित्त विभाग के निर्देश के बाद कई विभागों ने खातों की पहचान की पहल शुरू भी कर दी है। निष्क्रिय खातों से निकासी के लिए खाताधारक को पहले केवाईसी कराना होगा। उसके बाद उनका अकाउंट एक्टिव होगा। नामिनी द्वारा राशि की निकासी की स्थिति में अपेक्षित सारे दस्तावेज देने होंगे।
क्या होता है निष्क्रिय खाता?
एक वर्ष या उससे अधिक समय से जिन बैंक खातों से जमा-निकासी (ट्रांजेक्शन) नहीं होती, उन्हें डारमेंट यानी निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है। 10 वर्ष तक कोई लेन-देन नहीं होने पर ऐसे बैंक खातों का संचालन बंद कर दिया जाता है। साइबर फ्राड की घटना बढ़ने के बाद रिजर्व बैंक ने निष्क्रिय खातों पर नजर रखने का निर्देश जारी किया है।