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बिलासपुर

इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का विशेषज्ञ नहीं होने को लेकर दायर याचिका पर हुई सुनवाई, कोर्ट ने कहा- गंभीर चिंता का विषय

 बिलासपुर। प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का कोई विशेषज्ञ नहीं होने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है। इस मामले में बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान बेंच ने इस मामले कहा कि गंभीर चिंता का विषय है, जहां साइबर अपराध हो रहे हैं, ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति बिल्कुल जरूरी है। केंद्र सरकार को तत्काल नियुक्ति के लिए उचित कदम उठाने निर्देश दिए हैं। वहीं, केंद्र सरकार का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा को चार सप्ताह में शपथपत्र पेश कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को रखी गई है।

याचिकाकर्ता शिरीन मालेवर ने अधिवक्ता रुद्र प्रताप दुबे और गौतम खेत्रपाल के माध्यम से याचिका दाखिल की है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि देश भर में 16 जगह पर एक्सपर्ट की नियुक्ति की गई है जो कि केंद्र सरकार के द्वारा की जाती है। फिलहाल छत्तीसगढ़ प्रदेश में किसी एक्सपर्ट की नियुक्ति नहीं हैं। जिस पर महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने भी कोर्ट को जानकारी दी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आईटी अधिनियम राज्य के लिए धारा 79 के तहत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का कोई परीक्षक नहीं है। जिस पर कोर्ट ने प्रतिवादियों को नियुक्त करने का निर्देश दिया है।

वहीं, संघ की परिषद की ओर से अधिवक्ता को चार सप्ताह में हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए है। चीफ जस्टिस ने इस मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा जैसा कि मामला प्रतीत होता है, आजकल एक गंभीर चिंता का विषय है। साइबर अपराध हो रहे हैं, ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति बिल्कुल जरूरी है और भरोसा है कि भारत संघ नियुक्ति के लिए तत्काल कदम उठाएगा। वहीं अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा को 4 सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर सूचित करने निर्देश दिया है कि किस व्यक्ति को नियुक्त किया गया है।

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