Home » निचली अदालतों को अधिक गंभीर और जिम्मेदार होना होगा : जस्टिस गवई
छत्तीसगढ़ बिलासपुर

निचली अदालतों को अधिक गंभीर और जिम्मेदार होना होगा : जस्टिस गवई

बिलासपुर। हाईकोर्ट परिसर में न्यायिक अधिकारियों की राज्य स्तरीय कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें सुप्रीम कोर्ट के तीन जज शामिल हुए। राज्य विधिक सेवा प्राधिकारण और हाईकोर्ट की ओर से आयोजित इस कांफ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस प्रशांत मिश्रा, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बी आर गवई विशेष रूप से उपस्थित थे। कांफ्रेंस मे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा समेत अन्य जस्टिस और बड़ी संख्या में न्यायिक अधिकारी शामिल हुए।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि आम लोगों के लिए न्याय सरल, सस्ता और सुलभ होना चाहिए। इसके साथ ही यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि न्याय व्यवस्था में लोगों की आस्था बरकरार रहे। इसकी सबसे पहले शुरूआत जिला कोर्ट से होती है, इसलिए निचली अदालतों को अधिक गंभीर और जिम्मेदार होना होगा। निचली अदालतों में मूलभूत सुविधाओं के साथ ही काम करने का बेहतर माहौल भी होना चाहिए। इससे जिला जजों के साथ ही वहां काम करने वाले ज्यूडीसरी के कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ती है। जस्टिस गवई ने यह संबोधन हाईकोर्ट में आयोजित राज्य स्तरीय कांफ्रेस में दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जस्टिस गवई ने संबोधन में कहा कि फैसला देने वाले एक जज को जानकार, जागरूक, सजग, गंभीर और संवेदनशील होना भी जरूरी है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धी और तेजी से प्रगतिशीलता की तारीफ करते हुए कहा कि तमाम चुनौतियों के बाद भी राज्य बनने के 24 सालों में ही यह प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है और एक मॉडल के रूप में अपने आप को पेश किया है।

उन्होंने बस्तर के चित्रकोट प्रपात और बस्तर आर्ट के विश्व पटल पर पहुंचने की भी तारीफ की। जस्टिस गवई ने कहा कि छग में 32 प्रतिशत से अधिक आबादी ट्राइबल्स की है इसे ध्यान में रखते हुए भी यहां का विकास सराहनीय है। उन्होंने कहा कि वतर्मान समय में जिला कोर्ट और वहां के न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों के समक्ष कई चुनौतियां है। इसे ध्यान में रखते हुए बेहतर न्यायिक माहौल बनाना होगा। उन्होंने कहा कि कोई सब ऑर्डिनेट नहीं होता, सभी अपनी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इसमें जिला से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गवई ने कहा कि जिला कोर्ट और निचली अदालतें, उनके मजिस्ट्रेट, न्याय पालिका के आधार हैं। जनता का भरोसा ट्रायल कोर्ट पर बहुत ज्यादा है इसलिए उनकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज भी सैकड़ों की संख्या में कोर्ट केस दाखिल हो रहे हैं, क्योंकि देशवासियों को भरोसा है कि पुलिस और प्रशासन से ना सही, लेकिन न्यायिक व्यवस्था से न्याय जरूर मिलेगा। उन्होंने कहा कि हम सभी संविधान से बंधे हैं और उसी के दायरे में रहकर काम करना होगा। संविधान कहता है कि न्याय सभी के लिए सरल, सस्ता और सुलभ हो। उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि जिला न्यायालयों में भी इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने की बहुत जरूरत है। गवई के मुताबिक जिला कोर्ट लग्जरी भले ना हो पर मूलभूत सुविधाएं जरूरी हैं।

अपने अध्यक्षीय भाषण में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने छग हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सिन्हा के साथ बिताए पुराने दिनों को याद करते हुए उन्हें रमेश बाबू के नाम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में काम करने के दौरान सिन्हा का काफी सहयोग मिला। सिन्हा सिर्फ काम से मतलब रखने वाले संकोची और सावधान जस्टिस हैं। वे विवादों से दूर रहकर काम करते हैं लेकिन अब स्थिति बहुत बदली है।