मुंगेली। बिना पंजीयन के स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर प्रदेश में अनेकों निजी चिकित्सालय संचालित हो रहे हैं। इसी वजह से कई लोगों को असमय अपनी जान से हाथ धोेना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला मुंगेली में सामने आया है। एक निजी अस्पताल बिना लाइसेंस के संचालित हो रहा था। इस अस्पताल में ऑपरेशन से एक प्रसूता की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि नर्सिंग होम बिना लाइसेंस के संचालित हो रहा था। प्रसूता की मौत के बाद अस्पताल में हंगामा शुरू हो गया। मामले में दो बीएएमएस डिग्रीधारी भाईयों को गिरफ्तार किया गया है। खास बात यह है कि इस अस्पताल को सीएमएचओ ने जुलाई माह में नोटिस जारी किया था। इसके बाद भी अस्पताल संचालित हो रहा था।
सरकारी अस्पताल ने कहा रात में नहीं होगा ऑपरेशन
जानकारी के अनुसार जिले के लोरमी में 50 बिस्तर सरकारी अस्पताल संचालित है। लोरमी के समीप ग्राम सैल्हया का दुर्गेश राजपूत अपनी पतनी शारदा राजपूत (23) को डिलीवरी के लिए 26 अक्टूबर की शाम 7 बजे लेकर पहुंचा था। महिला को रात 11 बजे तक भर्ती नहीं किया गया। बताया गया कि रात में ऑपरेशन नहीं हो पाएगा। यहां से एक एंबुलेंस के चालक ने अच्छा इलाज का भरोसा दिलाया और नहर किनारे स्थित आन्या नर्सिंग होम लेकर आ गया। यहां बीएएमएस आयुर्वेद डिग्रीधारी दो डॉक्टर भाई महेन्द्र साहू और जितेंद्र साहू मौजूद थे। दुर्गेश से डॉक्टरों ने कहा कि प्रसूता की स्थिति गंभीर है और ऑपरेशन से डिलीवरी करानी पड़ेगी। उन्होंने एक कोरे कागज पर दुर्गेश से हस्ताक्षर लिया और महिला को ऑपरेशन थियेटर में ले गए। इस बीच दुर्गेश ने महिला विशेषज्ञ के बारे में डॉक्टरों से पूछा, लेकिन दोनों अस्पताल संचालकों ने कहा कि बाकी डॉक्टर आ रहे हैं। आन्या अस्पताल में रात 12 बजे एंबुलेंस चालक ने भर्ती कराया था। इलाज की फीस भी तय हो गई। तड़के लगभग 4 बजे मरीज के परिजनों से कहा गया कि ऑपरेशन हो गया है। जच्चा और बच्चा स्वस्थ है।
प्रसूता के शरीर में हरकत नहीं, परिजनों को हुआ शक
परिजनों ने खिड़की से झांककर देखा तो प्रसूता के शरीर में हरकत नहीं हो रही थी। स्टॉफ ने कहा कि एनेस्थीसिया का असर है, लेकिन सुबह तक मरीज से मिलने नहीं दिया गया। परिजनों को शक हुआ तो जबरदस्ती अंदर घुस गए। उन्होंने देखा कि शारदा मृत पड़ी हुई थी। परिजनों के अनुसार सिजेरियन ऑपरेशन में पेट फाड़ने के बाद रूई डालकर केवल टेपिंग करके छोड़ा गया था।
संचालकों ने भर्ती फाइल देने से किया इंकार, परिजनों ने मचाया हंगामा
प्रसूता के परिजन संचालकों से भर्ती फाइल देने की बात कह रहे थे, लेकिन उन्हें फाइल नहीं दिया जा रहा था। खबर मिलते ही अस्पताल के सामने भीड़ जुट गई। हंगामे की खबर मिलते ही एसडीएम पार्वती पटेल, एसडीओपी माधुरी धिरही, बीएमओ डॉ जीएस दाउ और अन्य अधिकारी पहुंचे। उन्होंने जांच में पाया कि नर्सिंग होम में कोई भी विशेषज्ञ डॉक्टर या निश्चेतना चिकित्सक नहीं है। बीएएमएस डॉक्टरों ने ही डिलीवरी करा दी। जिससे प्रसूता की जान चली गई। अधिकारियों ने परिजनों को उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है।
बोर्ड में बड़े डॉक्टरों का नाम
मृतिका के पति दुर्गेश राजपूत ने आरोप लगाया कि प्रसूता को भर्ती करने के बाद रिश्तेदार के कटघोरा से आने के बाद ऑपरेशन की बात कही गई थी, लेकिन लापरवाहीपूर्वक ऑपरेशन कर दिया गया। किसने ऑपरेशन किया यह नहीं मालूम। अस्पताल में डिग्रीधारी बड़े डॉक्टरों का नेम प्लेट लगाया गया है। अंदर बिना डिग्री के नर्स एवं कंपाउंडर ईलाज कर रहे थे। एनस्थेटिक्स और सर्जन मौजूद नहीं थे। पति दुर्गेश राजपूत ने संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
प्रशिक्षित नर्से नहीं छात्राएं कर रही थी काम
एमएमएचओ मुंगेली ने इसी साल जुलाई माह में हास्पिटल की नर्सिंग होम एक्ट के तहत जांच कराई थी। पाया था कि यहां स्टाफ और डॉक्टर नहीं है। यहां की नर्से भी प्रशिक्षित नहीं हैं। बल्कि छात्राएं काम कर रही हैं। जांच के दौरान यह भी बताया गया कि अस्पताल के संचालक द्वारा शासन से लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया है, लेकिन वर्तमान में इनके पास वैध लाइसेंस नहीं है।