बिलासपुर। गंभीर बीमारी से जूझ रहे एसईसीएल कर्मी को लिवर डोनेट कर एक बहादुर बेटी मौत के मुंह से वापस खींच लाई। एसईसीएल बिजुरी हसदेव क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारी और ऊर्जा नगर ब्लाक-बी निवासी रमेश चतुर्वेदी बीते कई वर्षों से गंभीर बीमार से परेशान थे। उनकी बेटी डॉ. प्रतिभा चतुर्वेदी ने बिलासपुर अस्पताल में जांच कराई। जांच में पता चला कि पिता को लिवर की समस्या है। इससे परिवार के सदस्य घबरा गए, लेकिन बेटी ने पिता को नया जीवन देने का निर्णय लिया और लिवर ट्रांसप्लांट कराया। फिलहाल, दोनों स्वस्थ्य हैं।
माता-पिता के लिए उनके बच्चें की जान सबसे कीमती होती हैं। जब बात उनकी जान की होती है, तो मां-बाप कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, लेकिन बेटी ने अपने पिता के लिए लिवर ट्रांसप्लांट कराने के लिए अपना लिवर देने का निर्णय लिया, जो पिता के लिए बेहद भावुक पल रहा। बेटी डॉ. प्रतिभा चतुर्वेदी ने कहा कि डॉक्टर्स ने बताया कि अब लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है। इसके बाद डॉ. प्रतिभा ने लिवर डोनेट किया। बेटी ने 60 फीसदी लिवर पिता को डोनेट कर जान बचाई।
अंतिम विकल्प था लिवर ट्रांसप्लांट
सतना डोमहाई निवासी रमेश चतुर्वेदी बीते एक साल से लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे। इलाज के लिए वे बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। इलाज के दौरान यहां अचानक खून की उल्टियां होने लगी थीं। इलाज के दौरान यह पता चला कि उनका लिवर पूरी तरह से खराब हो चुका है। डॉक्टर्स ने लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी और इस बड़े संकट से पिता को बेटी ने बाहर निकालने के लिए अपना लिवर डोनेट किया।