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छत्तीसगढ़

दिव्या गोड़ की हत्या का मामला दो साल से पेडिंग, हत्यारा कौन…?, दबी फाईल!

कोरबा। जिले में फिल्म दृश्यम की तर्ज पर लापता न्यूज़ एंकर सलमा सुल्ताना के मामले की गुत्थी तो करीब 5 साल बाद सुलझ गई, लेकिन कटघोरा थाना में दिव्या गोंड़ का एक अनसुलझा मामला विगत 2 साल से पेडिंग पड़ा हुआ है। मामले की जांच थाना प्रभारियों के बदलते-बदलते धीमी होती चली गई। अब फाइल भी दब चुकी होगी। ऐसा लगता है कि दिव्या की मौत की वजह तक पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट के सहारे पहुंच गई, लेकिन उसकी हत्या करने वाले तक हाथ नहीं पहुंच सके हैं। 2 साल से मामला रहस्य बनकर रह गया है। इसी तरह इसी साल फांसी के फंदे पर मिली लाश की पहचान 5 माह बाद भी नहीं हो सकी है।

घटना दिनांक 25 मई 2022 को संदिग्ध परिस्थितियों में एक छात्रा की लाश कटघोरा थाना क्षेत्र के ग्राम महेशपुर स्थित कुएं में मिली थी। मृतका की पहचान बांगो थाना अंतर्गत ग्राम पाथा निवासी दिव्या गोंड़ के रूप में की गई, जो कक्षा 11 वीं में अध्ययनरत थी और मौसी के घर ग्राम रंजना में रहकर पढ़ाई कर रही थी। उसकी लाश महेशपुर के नवापारा में कुएं में मिली। कुआं के पास कुछ दूर आगे उसका बैग मिला था, जिसमें कपड़े, चप्पल और पुस्तकें रखी थी।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाकर छात्रा की हत्या की पुष्टि हुई, मतलब कि उसकी हत्या करने के बाद शव को कुएं में फेंक दिया गया। हत्यारा कौन है और उसने ऐसा क्यों किया? यह सवाल रहस्य बनकर रह गया है।

प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई थी कि दिव्या घटना दिनांक से एक दिन पहले अपने घर गांव पाथा जाने के लिये रंजना से निकली और बस से कटघोरा तक पहुंची। बस स्टैंड के पास एक गांव के एक घर में वह रात को रुकी थी और दूसरे दिन उसकी लाश कुएं में मिली।

अनजान लाश का भी कुछ पता नहीं चला

जिले के कोतवाली थाना अंतर्गत वार्ड 4 देवांगन पारा के दुरपा रोड निवासी शाह के घर की बाड़ी में एक लाश मिली थी। 13 मई 2024 को कोई अज्ञात व्यक्ति उक्त मकान के पीछे स्थित रेल लाइन से होते हुए आया और शाह के घर की चारदीवारी कम ऊंची होने से फांदकर भीतर घुसा। नायलॉन की रस्सी से फांसी लगा लिया। पेड़ पर जमीन से करीब उसकी लाश फंदे पर लटकती लाश शाह की पत्नी ने तब देखी, जब वह किसी काम से उधर गईं हुई थीं। कोतवाली पुलिस ने पंचनामा बाद शव को शिनाख्त के लिए मर्च्युरी में रखवाया। थाना प्रभारी एमएल पटेल ने बताया कि मृतक की पहचान और परिजन का पता लगाने की कोशिश 3-4 दिन तक करने के उपरांत उसका कफ़न-दफन कर दिया गया। मृतक कौन था, कहां से आया था, क्या काम करता था, कहां रहता था और उसने यह कदम क्यों औऱ किन हालातों में उठाया, मामला 5 महीने के बाद भी रहस्य बना हुआ है।