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छत्तीसगढ़

उर्जाधानी में विद्युत व्यवस्था चरमराई, धनवारपारा व पुरानी बस्ती मे 40 घंटे से बिजली आपूर्ति बंद

कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य कभी विद्युत आधिक्य, शून्य पावर कट, आदि के विभूषणों से अलंकृत राज्य रहा हो, किंतु इन दिनों तो विद्युत वितरण विभाग की अकर्मण्यता, अनदेखी की वजह से यहाँ अजीब सा माहौल निर्मित्त हो गया हैं। बार-बार की जाने वाली शिकायते अब बेअसर हो गयी हैं शहर के बीचोंबीच वार्ड क्रमांक 5 इस श्रमिक बाहुल्य बस्ती को धनवारपारा के नाम से जाना जाता हैं। इस भीषण गर्मी में पिछले 40 घंटों से पूरी बस्ती में बिजली आपूर्ति बंद हैं।

बस्तीवासियों ने बार-बार की गई शिकायतो के बाद विवश होकर तुलसी नगर जोन कार्यालय के समक्ष धरना देते हुए जमकर नारेबाजी की। नगर का यह एक ऐतिहासिक वार्ड हैं। जहां राजवाड़ा परिवार सहित वरिष्ठ भाजपा आदिवासी नेता प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर, पूर्व महापौर जोगेश लांबा का निवास के साथ-साथ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुरेश कुमार सहगल का भी निवास हैं।

40 घंटे से भी अधिक समय से बिजली बंद

कोरबा नगर पालिक निगम के धनवार पारा पुरानी बस्ती वार्ड 5 व कुछ हिस्सा वार्ड नं 6 मोहल्ले में 40 घंटे से भी अधिक समय से बिजली बंद हैं। बताया जा रहा हैं की यहां का ट्रांसफार्मर खराब होने पर आवश्यक सुधार रविवार को तड़के करीब 3 बजे जरूर किया गया था, लेकिन 2 घंटे में स्थिति पूर्ववत हो गई। जिससे वार्डवासी आक्रोशित हो गए और वार्ड पार्षद धनश्री अजय साहू के साथ छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित के तुलसी नगर जोन कार्यालय पहुंचकर धरना देते हुए जमकर नारेबाजी की। इन आक्रोशितजनो का यह भी आरोप हैं कि यहां पदस्थ जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी फोन भी नहीं उठाते। जोन कार्यालय में एक अटेंडर और लाइनमैन मौजूद है। जिनके बूते का यह काम नहीं लगता, ट्रांसफार्मर बदलने की जरूरत है, लेकिन विभाग के अधिकारी कल से ध्यान नहीं दे रहे हैं। धरना प्रदर्शन जारी रहने तक विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जोन कार्यालय ना तो पहुंचे और ना ही फोन उठाया। पार्षद ने बताया कि बिजली विभाग के अधिकारियों ने वार्ड में स्थित ट्रांसफार्मर बदलने की बात कही है।

यहां यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं की यह हालत केवल इसी वार्ड के नहीं बल्कि सभी वार्डो की हैं। विद्युत संकट प्रभावित अधिकांश निवासी गाहे-बगाहे अपने उन प्रियजन, स्वजन, रिश्तेदारो के घरो में जहां भी बिजली होती हैं। वहां रात में भी गाहे बगाहे व्याकुलता के आगोश में समाकर शरण लेने पहुंच जाते हैं। यहां के नागरिको ने यह भी मांग की हैं की यहां पदस्थ अकर्मण्य, जिम्मेदार, लापरवाह, काम की अनदेखी करने वाले अधीकारियों/कर्मचारियो की तैनाती यहां से हटाकर बस्तर क्षेत्र में की जाए, जहां की जलवायु ही ऐसी हैं की वहां के निवासी बिजली को बहुत-बहुत जरूरी नहीं मानते।