नारायणपुर। आमतौर पर भारत में शादियां होती हैं तो दूल्हा बारात लेकर आता है, लेकिन छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के क्षेत्र अबूझमाड़ में ऐसा नहीं होता है। आपको सुनकर हैरानी जरूर हुई होगी, लेकिन नारायणपुर जिले के इस क्षेत्र में दूल्हा नहीं बल्कि दुल्हन बारात लेकर आती है। अबूझमाड़ में रहने वाली मड़िया जनजाति आज भी अपनी संस्कृति के तहत शादी विवाह के कार्यक्रम पूरे करती है। उनकी संस्कृति में कई सारी विशेषताएं हैं। इन्हीं में से एक विवाह की परंपरा एक है, जिसमें दूल्हा नहीं बल्कि दुल्हन दूल्हे के घर बारात लेकर जाती है।
आमतौर पर हिंदुस्तान में जहां शादियां होती हैं तो वहां दुल्हन के पिता दूल्हे के परिवार वालों को दहेज देते हैं। दहेज का मतलब सिर्फ पैसों से नहीं है। इसमें घर गृहस्थी की बाकी चीजें भी शामिल होती हैं।
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में यहां परंपरा उल्टी है। यहां दुल्हन के साथ शादी करने के लिए दूल्हे को दहेज देना पड़ता है। समाज के सभी लोग आपस में बैठकर धनराशि को तय करते हैं। अगर दूल्हा इस धनराशि को नहीं दे पाता है तो. उसके पिता इस राशि को देकर विवाह संपन्न करवाते है। इस प्रक्रिया को पूरी करने के लिए तीन से पांच साल का वक्त होता है। बता दें कि मड़िया जनजाति में लड़कियां अपनी मर्जी से अपना पति चुन सकती हैं।