कोरबा-तुमान। ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी डाक्टर मरीजों का उपचार कर रहे हैं। इन डॉक्टरों के पास किसी प्रकार की डिग्री या लायसेंस नहीं है। ऐसे में मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में ऐसे डॉक्टरों की भरमार है। मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में बिना लाइसेंस बेधड़क होकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कई डॉक्टर तो गली-गली में घूम-घूमकर इलाज कर रहे हैं।
वर्तमान में बारिश का मौसम चल रहा है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में कई तरह की बीमारियां फैली हुई है। बुखार और सर्दी खासी होने पर लोग इन्ही झोलाछाप डॉक्टरों से अपना उपचार करवा रहे हैं। इनके उपचार से तबियत ज्यादा बिगड़ने पर बड़े अस्पतालों का रूख करते हैं। तब तक बहुत देर हो जाती है। मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है। इसका प्रमुख कारण ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को माना जा रहा है। तुमान में 10 बेड का स्वास्थ्य केंद्र संचालित है, लेकिन एमबीबीएस डॉक्टर नदारत रहते हैं या फिर पदस्थ नहीं हैं। मरीजों को मजबूरी में झोला छाप डाक्टरों से उपचार कराना पड़ रहा है। स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ के कमी भी बनी हुई है। खून की जांच के लिए भटकना पड़ता है। इन क्षेत्रों में जंगली जानवरों का भी हमला होता रहता है। स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने की वजह से मरीजों को उपचार के लिए कोरबा या फिर कटघोरा आना पड़ता है।
स्वास्थ्य केंद्र पर 8 ग्राम पंचायत के ग्रामीण निर्भर
तुमान स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत 8 ग्राम पंचायत आते हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि छोटी सी बीमारी के लिए कोरबा या फिर कटघोरा रेफर कर दिया जाता है। शहर जाकर इलाज करा पाना संभव नहीं है, क्योंकि अधिकांश लोग खेती किसानी पर निर्भर रहते हैं। अचानक इलाज का खर्च आ जाने पर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। समय पर उचित इलाज नहीं मिलने से मरीज का बचना मुश्किल हो जाता है। इधर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर शासन द्वारा करोड़ों रुपया पानी की तरत बहाया जा रहा हैं। इसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में संचालित स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी बनी हुई है।