दंतेवाड़ा। शीर्ष माओवादी नेता कट्टम सुदर्शन की हार्ट अटैक से मौत हो गई। वह करीब 69 साल का था। नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर इसकी पुष्टि की है। सुदर्शन पर डेढ़ करोड़ का ईनाम घोषित था।
बताया जा रहा है कि माओवादियों के पोलित ब्यूरो केंद्रीय कमेटी के सदस्य आनन्द उर्फ कट्टम सुदर्शन कई महीनों से डायबिटीज, बीपी सहित अन्य बीमारियों से जूझ रहा था। इलाज के अभाव में उसने 31 मई की दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर दम तोड़ दिया। दंडकारण्य के जंगल में ही नक्सलियों ने उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। अब नक्सली पांच जून से तीन अगस्त तक उसकी याद में देश भर में सभा का आयोजन करेंगे।
नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने दो जून को प्रेस नोट के साथ आनंद की तस्वीर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जारी की है। प्रेस नोट में बताया गया है कि बेलमपल्ली के मजदूर परिवार में आनंद का जन्म हुआ था। वह पिछले करीब पांच दशक से नक्सल संगठन में सक्रिय था। उसने केंद्रीय कमेटी से लेकर आंध्र-तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में नक्सल संगठन की जिम्मेदारी संभाली थी। आनन्द उर्फ कट्टम सुदर्शन की मौत से नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। नक्सल संगठन को मजबूती देने, संगठन का विस्तार करवाने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण थीं। बता दें कि शीर्ष माओवदी लीडर कट्टम सुदर्शन छत्तीसगढ़ में हुई कई बड़ी नक्सली घटनाओं की साजिश में शामिल रहा है। नक्सली नेता कट्टम सुदर्शन को गुरिल्ला युद्ध रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है। दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा हत्याकांड मामले की जांच कर रही एनआईए ने 20 मोस्ट वांटेड नक्सलियों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें कट्टम सुदर्शन का नाम शामिल था।
0 1974 में नक्सली संगठन में रखा था कदम
-कट्टम सुदर्शन ने 1974 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ। इसके बाद वहां रहकर छात्र संगठन निर्माण करने में सक्रिय भूमिका निभाई। बाद में बेलमपल्ली पार्टी सेल का सदस्य बनकर सिंगरेणी मजदूर संघ के संघर्ष में शामिल हुआ।
-1978 में लक्सेटीपेटा.जगनम इलाके में पार्टी ऑर्गेनाइजर की जिम्मेदारी मिली।
-1980 में आदिलाबाद जिला कमेटी का सदस्य और दंडकारण्य इलाकों में संगठन को बढ़ाया।
-1987 में नक्सलियों की दंडकारण्य फॉरेस्ट समिति में चुना गया।
-1995 में नक्सलियों की उत्तर तेलंगाना स्पेशल जोनल कमेटी सचिव बना और फिर अखिल भारतीय विशेष अधिवेशन में केंद्रीय कमेटी सदस्य के रूप में चुना गया।
-2001 में नक्सलियों की पोलित ब्यूरो का सदस्य बना और सेंट्रल रीजनल ब्यूरो के सचिव की जिम्मेदारी दी गई।
-2007 में केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो सदस्य के बाद मध्य रीजनल ब्यूरो के सचिव बनाया गया।
-2017 तक मध्य रीजनल ब्यूरो सचिव बना और फिर पोलित ब्यूरो सदस्य के रूप में काम करता रहा।