कोरबा पुलिस ने जारी किया अलर्ट
कोरबा। संचार क्रांति के इस युग में साइबर ठगों ने ठगी के अलग-अलग हथकंडे अख्तियार कर लिए हैं। साइबर क्राइम से पढ़े लिखे लोग भी बच नहीं पा रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट स्कैम ने लोगों को चौका दिया है। पीड़ितों को इसके माध्यम से हथकड़ी और लोकलाज का डर दिखाकर लाखों रुपए साइबर क्रिमिनल ठग रहे हैं।
कोरबा पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी सजग कोरबा अभियान के तहत नगर वासियों से यह अपील करते हैं कि किसी भी प्रकार के अंजान कॉल को ध्यान ना दे और अपनी जानकारी उनसे साझा ना करें। डिजिटल ठग अक्सर पीड़ित से यह कहते हैं कि आपने मोबाइल पर कुछ आपत्तिजनक कंटेंट खोलकर देखा है या आपने जो पार्सल भेजा था। उसमें मादक पदार्थ पाये गये है, जिससे उन्हें डिजिटल गिरफ्तारी के तहत बंदी रखा गया है। पीड़ित पर मुकदमा न करने के लिए पैसों की मांग की जाती है। व्हाट्सएप पर नकली पुलिस अधिकारी की डीपी लगाकर पीड़ित को वास्तविक पुलिस होने का भरोसा दिलाते हैं। वीडियो कॉल पर बतलाया जाता है कि आपके मोबाइल नंबर से गैर कानूनी कार्य किये जा रहे हैं या आपके नाम पर अरेस्ट वारंट है। गिरफ्तारी से बचने के लिए जमानत दिलाने के नाम पर पैसे का मांग की जाती है। ठग अक्सर पुलिस वर्दी पहन कर डराते हैं उसके सामने पुलिस बोर्ड भी होगा, ताकि आप समझे कि पुलिस ही बात कर रहा है। लोगों को डरने की बात नहीं है। पुलिस ऐसा कभी नहीं करती। सतर्क रहे, सजग रहे।
डिजिटल अरेस्ट क्या है
डिजिटल हाउस अरेस्ट साइबर क्राइम का नया तरीका है, जिसमें स्कैमर्स पीड़ित को वीडियो कॉल पर डरा धमका कर घर पर ही कैद कर लेते हैं। इसके साथ ही उसे इतना परेशान करते हैं कि वह पैसे देने पर मजबूर हो जाता है।