कोरबा। वरिष्ठ पत्रकार व संपादक सुरेश चंद्र रोहरा अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन पत्रकारिता जगत में किए गए उनके सराहनीय कार्यो को सदैव याद किया जाता रहेगा। 80-90 के दशक में आधुनिक संसाधन नहीं होने के बावजूद चुनौतीपूर्ण पत्रकारिता हर किसी को अंचभित कर देता है। यह उस समय की बात है जब हैंडकंपोजिंग से समाचार पत्रों का प्रकाशन होता था, जिसमें अक्षरों को कतार में रखकर सेट किया जाता था। धातु के टुकड़ों को हाथ से चुनना और एक एक शब्दों को व्यवस्थित करना पड़ता था। चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सुरेशचंद्र रोहरा ने इसे सहजता से कर दिखाया। साप्ताहिक कोरबा कश्यप और दैनिक वीर शत्रु से उन्हें एक अलग पहचान मिली। 9 अप्रैल 2025 की रात महज 57 वर्ष की आयु में अपने पीछे एक पुत्र सहित भरा-पूरा परिवार रोता-बिलखता छोड़ गए।
वर्ष 1993 से उन्होंने (श्री रोहरा) पत्रकारिता जगत में कदम रखा। महाकौशल, अग्रदूत, कोरबा कश्यप, आज की जनधारा जैसे नामचीन अखबारों में उन्होंने अपनी लेखनी को रेखांकित किया। वर्तमान में वे रायपुर व कोरबा से प्रकाशित दैनिक लोक सदन के संपादक का दायित्व निभा रहे थे। सुरेश चंद्र रोहरा की रचनाएं प्रसिद्ध पत्रिका सरस सलिल, मनोहर कहानियां, सत्य कथा में भी प्रकाशित होती रही हैं। उन्होंने अपने जीवन का एक लंबा समय साहित्य के लिए समर्पित किया और साहित्यकारों के साथ जुड़कर साहित्यिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने में अपनी महती भूमिका निभाते रहे। उन्होंने अपने पत्रकार मित्र स्व. रमेश पासवान की स्मृतियों की चिर स्थाई रखने के लिए रमेश पासवान पत्रकारिता सम्मान की शुरुआत की।
सुरेश चंद्र रोहरा ने “रोहरानंद” के रूप में अपनी साहित्यिक पहचान स्थापित की। उनका इस तरह से आकस्मिक चले जाना उनके परिजनों के साथ-साथ करीबियों और आत्मिक जुड़ाव रखने वालों के लिए अपूरणीय क्षति से कम नहीं। कोरबा प्रेस क्लब का वरिष्ठ सदस्य होने के साथ-साथ वे प्रगतिशील लेखक संघ, कोरबा के अध्यक्ष, पूज्य सिंधी पंचायत, कोरबा के मीडिया प्रभारी, अधिवक्ता, कवि, साहित्यकार, लेखक, रचनाकार भी थे। कोरबा प्रेस क्लब, प्रगतिशील लेखक संघ, नगर के साहित्यकारों, अधिवक्ता संघ, पूज्य सिंधी पंचायत ने भी उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।