जगदलपुर। दंतेवाड़ा के ढोलकल पहाड़ी पर 3000 फीट ऊंचाई पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित है। 11वीं सदी में छिंदक नागवंशी राजाओं ने इस प्रतिमा की स्थापना की थी। कहते हैं कि इस जगह पर कभी भगवान परशुराम और गणेशजी के बीच युद्ध हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस युद्ध में भगवान गणेश जी का एक दांत टूट गया था। इसकी वजह से ही गजानन एकदंत कहलाए।
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित भगवान गणेशजी का यह मंदिर बैलाडिला की ढोलकल पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर की ऊंचाई समुद्र तल से 3000 फीट है। प्रतिमा ढोलक के आकार के होने के कारण इसे ढोलकल गणेश के नाम से भी जाना जाता है। इसी कारण से इस पहाड़ी का नाम भी ढोलकल पड़ा।
11वीं सदी में हुई थी स्थापना
यहां ऊंची चट्टान पर खुले में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित है। छत की कोई व्यवस्था नहीं है। पत्थरों से दीवार बनाई गई है। प्रतिमा के पीछे गहरी खाई है। छिंदक नागवंशी राजाओं ने 11वीं शताब्दी में पहाड़ी के शिखर पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित कराई थी। इस मंदिर तक पहुंचना अत्यंत दुर्लभ है। दक्षिण बस्तर के भोगामी आदिवासी ढोलकल की महिला पुजारी को मानते हैं। यहां 12 महीने पूजा की जाती है और फरवरी में मेला लगता है।
ढोलकर मंदिर की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस पहाड़ी के शिखर पर भगवान गणेश और परशुराम जी में युद्ध हुआ था। युद्ध में भगवान परशुराम के फरसे से गणेशजी का एक दांत टूट गया। इस वजह से गणपति बप्पा एकदंत कहलाए। परशुराम जी के फरसे से गणेशजी का दांत टूटा। इसी कारण पहाड़ी के तलहटी पर बसे गांव का नाम फरसपाल पड़ा।