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छत्तीसगढ़

मतदान करने वालों की अंगुली काटने तक की धमकी, फिर भी नक्सलियों का भय नहीं

जगदलपुर । मुश्किलों के बावजूद हार नहीं मानना, यही बस्तर के आदिवासियों की पहचान है। अब तक की लोकतांत्रिक यात्रा को देखने से यह बात साबित होती है, क्योंकि नक्सिलयों का भय छोड़कर यहां के मतदाताओं ने हर बार लोकतंत्र के उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। इसी का परिणाम है कि मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। इस बार भी 234 विस्थापित मतदान केंद्र है, जहां आदिवासियों को 10 किमी से अधिक पैदल चलना होगा।

1951 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सात सीटों में बस्तर सीट में मतदाताओं की संख्या सबसे कम यानी तीन लाख, 84 हजार 277 थी, लेकिन यहां सबसे ज्यादा 55. 65 प्रतिशत मतदान हुआ था। जगदलपुर के वरिष्ठ पत्रकार एस करीमुद्दीन ने 70 के दशक में हुए बीजापुर के एक विधानसभा चुनाव का किस्सा साझा करते हुए बताया कि यहां नक्सलियों का प्रभाव काफी बढ़ गया था। मतदान करने वालों की अंगुली काटने तक की धमकी दी गई थी। हालांकि यहां मतदाता बहुत कम थे, लेकिन उनमें उत्साह बहुत अधिक था। नक्सलियों के डर के बावजूद लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया। मतदान के बाद जब नक्सली वहां पहुंचे तो महिलाओं और ग्रामीणों ने उनका डटकर मुकाबला किया। कहा कि हम हमेशा मतदान करेंगे, हमें विकास चाहिए। आपको जो करना है, वह कर लीजिए।