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छत्तीसगढ़ का ये जिला बना शराबियों का अड्डा, सिर्फ 8 माह में गटक गए 126 करोड़ की मदिरा

कोरबा। जिले में मदिरा के शौकिनों की कमी नहीं है। ऊर्जा नगरी से जहां कोयला, बिजली उत्पादन को लेकर भारी भरकम राजस्व की कमाई हो रही है, वहीं शराब की बिक्री से भी शासन की तिजोरी राजस्व से भर रही है। वित्तीय वर्ष के लगभग 8 माह में मदिरा प्रेमियों ने 126 करोड़ की शराब गटक ली है। लक्ष्य पूरा करने अब शेष बचे माह में 91 करोड़ 29 लाख की कमाई आबकारी विभाग को और करनी है।

मदिरा प्रेमियों को शादी, पार्टी या फिर कोई भी खुशी का मौका हो, शराब न चले तो खुशी के क्षण अधूरे लगते हैं। आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल से 26 नवंबर तक जिले के मदिरा की बिक्री 126 करोड़ 83 लाख रुपए की हो चुकी है, जबकि विभाग को 1 अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 217 करोड़ 54 लाख का लक्ष्य मिला है। इस लक्ष्य को पूरा करने में विभाग काफी करीब पहुंच चुका है। मार्च तक विभाग को 91 करोड़ 29 लाख और लक्ष्य पूरा करना है। 26 नवंबर तक मदिरा बिक्री के आंकड़ों को देखा जाए, तो विभाग अपने लक्ष्य को न केवल पार कर लेगा, बल्कि आगे निकल जाएगा।

शराब की बिक्री में इजाफा

जिले भर में कुल 37 मदिरा दुकानें हैं, जिनमें 11 देशी, 16 विदेशी और कम्पोजिट 10 दुकानें संचालित हैं। जिले के पांचों ब्लाक में सर्वाधिक राजस्व देने वाला कोरबा है, जहां बिक्री का अनुपात अन्य ब्लाकों की अपेक्षा अधिक हैं। खासकर विशेष पर्व के दौरान शराब की बिक्री में इजाफा होता है। शेष बचे दिनों में ऐसे कई अवसर आएंगे, जिसमें मदिरा की बिक्री अधिक होती है, जिससे कहा जा सकता है कि मदिरा की बिक्री इस साल भी लक्ष्य के पार पहुंच जाएगी।

आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में मदिरा प्रेमियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है, जिनमें युवाओं की संख्या बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है। हकीकत है कि शराब की बढ़ती लत भले ही आबकारी विभाग के राजस्व में बढ़ोतरी का कारण हो सकता है, लेकिन इसके विपरीत परिणामों से भी नकारा नहीं जा सकता।

शराब बिक्री के मामले अपने लक्ष्य के बेहद करीब

खासकर घरेलू महिलाओं के लिए शराब अभिशाप से कम नहीं है। परिवार में कलह, परिवार का बिखरना, मृत्यु दर में बढ़ोतरी, युवाओं के बीच शराब पीकर झगड़ा, वाहन दुर्घटना इन सबके पीछे मुख्य कारण शराब है। बहरहाल आबकारी विभाग शराब बिक्री के मामले में अपने लक्ष्य के बेहद करीब है और राजस्व कैसे बढ़े, इसकी कवायद भी तेज कर दी गई है।