कबीरधाम। प्रदेश में पहली बार जटायु (गिद्ध) की गणना की जा रही है। ये देश में 99 प्रतिशत विलुप्त हो चुके हैं, जिसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है। अचानकमार टायगर रिजर्व के 500 किमी के दायरे में आने वाले छत्तीसगढ़ के 10 और मध्यप्रदेश के 3 जिलों में गणना किया जाएगा।
अब तक प्रदेश के बिलासपुर, मुंगेली व कटघोरा वन मंडल में गणना का काम पूरा हो गया है, इसके बाद कबीरधाम में गणना का काम शुरू हो गया है। अचानकमार टायगर रिजर्व के वल्चर कंजरवेशन एसोसिएट अभिजीत शर्मा व उनकी टीम सर्वे कर रही है।
उन्होंने बताया कि कबीरधाम में कवर्धा वनमंडल अंतर्गत पूर्व में व्हाइट रम्प्ड वल्चर (बंगाल का गिद्ध) पाए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है, जिसका सर्वे किया जा रहा है। वर्तमान में सर्वे के दौरान इजिप्शियन वल्चर (सफेद गिद्ध) पाए जाने की पुष्टि हुई है।
विलुप्त हो रहे गिद्धों की प्रजाति के संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अचानकमार टायगर रिजर्व में चल रहे गिद्ध संरक्षण परियोजना अंतर्गत प्रदेश में शेष बचे गिद्धों की गणना और उनके आवास की खोज की जा रही है। गिद्धों के लिए शुद्ध और खतरनाक दवाओं से मुक्त वातावरण वाले क्षेत्र की स्थापना इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है। साथ ही प्रदेश में वह इलाके जहां गिद्ध अपने प्राकृतिक आवास में पाए जा रहे हैं, वहां उनके फूड मैनेजमेंट को बेहतर करने की पहल की जा रही है।
कबीरधाम जिले के वनमंडलाधिकारी (डीएफओ) शशि कुमार ने बताया कि जिले के वनांचल क्षेत्र में गिद्धों की सर्वे किया जा रहा है। यह काम सोमवार से शुरू हुआ है, जो कि एक हफ्ते के भीतर पूरा हो जाएगा। पूरे देश में गिद्ध विलुप्ति के कगार पर है। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद इनकी संरक्षण को लेकर काम किया जाएगा।