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दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला : यूक्रेनी महिला को बेटे के साथ अपने मूल देश वापस जाने की दी अनुमति

नई दिल्ली। मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने  एक यूक्रेनी महिला को अपने पांच वर्षीय बेटे के साथ अपने मूल देश वापस जाने की अनुमति दे दी। बच्चे को रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद उसका पूर्व पति भारत ले आया था।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर और अमित बंसल की खंडपीठ ने पारिवारिक अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा जिसने क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार की कमी के आधार पर अखिलेश कुमार गुप्ता (पिता) द्वारा दायर संरक्षकता याचिका को खारिज कर दिया था।

गुप्ता ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। पीठ ने आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि गुप्ता और उनकी पूर्व पत्नी स्निझाना ग्रिगोरिव्ना की शादी यूक्रेन में हुई थी और उनका तलाक हो गया था और उनके दो बच्चा भी उसी देश में पैदा हुए था।

कोर्ट ने कहा कि पिता यूक्रेनी अदालत के आदेश का उल्लंघन करके बच्चे को भारत लाया था और उसे अपनी गलती का फायदा उठाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

पीठ ने कहा योग्यता के आधार पर भी हमें नहीं लगता कि यह नाबालिग बच्चे के सर्वोत्तम हित में होगा। वह वर्तमान में पांच साल का है उसे उसकी मां और यूक्रेन में रह रही उसकी बड़ी बहन से अलग किया जाए। पीठ ने कहा फ़ैमिली कोर्ट ने 17 नवंबर 2023 को नाबालिग बच्चे से बातचीत की थी जिसने मां के साथ यूक्रेन वापस जाने की इच्छा व्यक्त की थी और कहा था कि वह पिता व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बात नहीं करना चाहता।

यूक्रेन के विन्नित्सिया की स्थिति के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा कि भारतीय नागरिकों को देश छोड़ने के लिए कहने वाली भारत सरकार की सलाह मां और उसके नाबालिग बेटे पर लागू नहीं होगी, क्योंकि वे उस देश के नागरिक हैं।